CID की जोड़ी अब आमने-सामने, 'हैलो, नॉक नॉक कौन है?' में दिखेगा नया टकराव

Updated: 01 Oct, 2025 06:45 PM

hello knock knock kaun hai cast exclusive interview with navodaya times

​​​​​​​डायरेक्ट प्रबल बरुआ के निर्देशन में बनी फिल्म हैलो, नॉक नॉक कौन है? जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। इस सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म में दयानंद शेट्टी, आदित्य श्रीवास्तव, सोनाली कुलकर्णी, बरखा बिष्ट, जरीना वहाब, लिलिपुट और साहिल उप्पल नज़र...

नई दिल्ली। डायरेक्ट प्रबल बरुआ के निर्देशन में बनी फिल्म हैलो, नॉक नॉक कौन है? जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। इस सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म में दयानंद शेट्टी, आदित्य श्रीवास्तव, सोनाली कुलकर्णी, बरखा बिष्ट, जरीना वहाब, लिलिपुट और साहिल उप्पल नज़र आने वाले हैं। इस फिल्म को प्रोड्यूस भी खुद फिल्म के एक्टर दयानंद शेट्टी ने किया है। इसके जरिए दयानंद शेट्टी पहली बार बतौर प्रोड्यूसर इस फिल्म से जुड़े हैं। यह फिल्म आने वाली 7 नवंबर को रिलीज होगी। इस फिल्म के बारे में एक्टर्स दयानंद शेट्टी, आदित्य श्रीवास्तव और डायरेक्टर प्रबल बरुआ ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार के लिए संवाददाता संदेश औलख शर्मा से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश...

दयानंद शेट्टी
सवाल: फिल्म का टाइटल हैलो, नॉक नॉक कौन है? काफी कैची है। सबसे पहले यह नाम कहां से आया?

जवाब: देखिए, मैं तो सिर्फ नाम का प्रोड्यूसर हूं। टाइटल और बाकी सारी चीज़ें प्रबल सर के हाथ में हैं। हमने मिलकर कई नाम सोचे, लेकिन अंत में सबको यही लगा कि नॉक नॉक कौन है? सबसे बेहतर रहेगा।

सवाल: आपको इस फिल्म ने प्रोड्यूसर बनने के लिए कैसे प्रेरित किया?
जवाब: हम तीनों गार्डन में बैठे थे तब प्रबल सर ने वन-लाइनर सुनाया। वह दिमाग में बस गया। शुरू में सोचा किसी अच्छे प्रोड्यूसर को ढूंढेंगे  लेकिन जब मुश्किलें आईं तो तय किया कि खुद ही जिम्मेदारी उठाई जाए। प्रबल सर क्लोज-डोर ड्रामा के मास्टर हैं और यही इस फिल्म की जान है।

सवाल: हाल ही में इंडिया-पाकिस्तान मैच को लेकर विवाद हुआ और कुछ फिल्मों की रिलीज़ भी रोकी गई। आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब:
देखिए, मैं क्रिकेट ज्यादा फॉलो नहीं करता। लेकिन हालात जैसे हैं, मुझे लगता है मैच नहीं होना चाहिए था। हां, वजहें क्या हैं वो बड़े स्तर पर पता चलती हैं। अगर मेरी फिल्म में कोई ऐसा कलाकार होता जो देश के खिलाफ बयान देता तो अगली बार मैं उसे कास्ट नहीं करता। हमारा काम एक्टिंग है, राजनीति करना नहीं।

प्रबल बरुआ
सवाल:  ये आइडिया कहीं सेट पर बार-बार क्नॉक-क्नॉक करने से आया क्या?
जवाब: असल में ये डायलॉग फिल्म में बार-बार आता है कौन है? बरखा के किरदार के साथ ये काफी जुड़ा है। जब टीम में डिस्कशन हुआ तो सबको यही नाम सबसे फिट लगा।

सवाल: एक निर्देशक के तौर पर इस फिल्म में आपने क्या नया प्रयोग किया है?
जवाब:   मैं लंबे समय से आदित्य और दयानंद के साथ काम करता आया हूं खासकर सीआईडी में, दोनों की केमिस्ट्री कमाल की है। लेकिन इस बार मैंने उन्हें पूरी तरह अलग किरदारों में पेश किया है। यहां दोनों दोस्त नहीं, बल्कि ऐसे किरदार निभा रहे हैं जो एक-दूसरे को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकते। यही फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी है।

सवाल: इतनी लेयर्ड स्टोरीज और ग्रे-शेड कैरेक्टर्स का ख्याल कहां से आता है?
जवाब: ये तो सालों का अनुभव है। जैसे खाना बनाने वाले से पूछो कि स्वाद कैसे आता है वैसा ही है। अब ये प्रोसेस बन गया है। खास बात यह है कि इस फिल्म में कोई कन्वेंशनल हीरो-हीरोइन या विलेन नहीं है। हर किरदार कभी हीरो लगता है, कभी विलेन, कभी पागल।

सवाल: आगे आप किस जेनर को एक्सप्लोर करना चाहेंगे?
जवाब: थ्रिलर तो मैंने बहुत किया है। गुटरगु जैसी कॉमेडी भी बनाई है और बच्चों के शो भी। अगली स्क्रिप्ट पर काम कर रहा हूं, जो ड्रामा है। बतौर निर्देशक मैं हमेशा नए जेनर में काम करना पसंद करता हूं।

आदित्य श्रीवास्तव
सवाल: इस फिल्म में आपके किरदार के बारे में बताइए।
जवाब:
जैसा कि ट्रेलर में देखा होगा मैं ‘मिस्ट्री मैन’ हूं। ज्यादा कुछ बता नहीं सकता क्योंकि फिल्म की सस्पेंस यहीं पर टिका है। लेकिन इतना कह सकता हूं कि हर किरदार यूनिक है और इस फिल्म का असली हीरो शायद दरवाजा है क्योंकि हर बार क्नॉक-क्नॉक होते ही कहानी करवट बदलती है।

सवाल: सेट पर काम करते वक्त पुरानी यादें ताज़ा हुईं?
जवाब: जी हां, बहुत कम्फर्टेबल माहौल था। जैसे पिकनिक हो रही हो। सभी एक-दूसरे को जानते हैं तो काम आसान और मजेदार हो गया। वो इसलिए क्योंकि आप अपने साथ वालों को पहले से जानते हैं। मैं प्रबल सर के लिए खास बात कहूंगा कि वो मछली बहुत अच्छी बनाते हैं और दयानंद खिलाते बहुत अच्छा हैं। हम तीनों खाने-पीने के शौकीन हैं, और शूटिंग के बीच भी सबसे अच्छा खाना कहां मिलेगा, यही ढूंढते रहते हैं।

सवाल: इंडस्ट्री में कौन सा बदलाव आप जरूरी मानते हैं?
जवाब:
देखिए ऐसा तो कुछ नहीं लगता लेकिन बस मैं इतना कहूंगा कि सबसे बड़ी जरूरत है कि हर प्रोजेक्ट आसानी और सकारात्मक माहौल में पूरा हो। फीस कब मिली, ये बाद की बात है। असली महत्व अच्छे काम का है और सही टीमवर्क का है।

बरखा सेनगुप्ता
सवाल: ये Knock Knock कौन है? क्या राज है इस नाम के पीछे?
इसमें बहुत सारे लोग हैं आदित्य जी हैं, दया जी हैं और दरवाज़ा मेरे पीछे है यानी Knock Knock मेरे दरवाजे पर हो रहा है। कौन आ रहा है, क्यों आ रहा है, क्या करने आ रहा है – यही तो पूरा सस्पेंस है।

सवाल: फिल्म में आप दोनों के किरदार कैसे हैं? कोई हिंट दे सकती हैं?
बारखा सेनगुप्ता
अगर मैं बता दूं कि कौन शातिर है और कौन अच्छा, तो मज़ा कैसे आएगा? एंड तक यह क्लियर नहीं होगा कि कौन क्या है- इतने सारे लेयर्स हैं हर कैरेक्टर में। कभी लगेगा ये अच्छी है, फिर लगेगा नहीं कुछ तो गड़बड़ है। तो फिल्म देख कर ही पता चलेगा।

सोनाली कुलकर्णी
मैं पूजा का किरदार निभा रही हूं। मैं ही Knock Knock कर रही हूं। एक बहुत अजीब सिचुएशन में फंसी हूं और उससे निकलना चाहती हूं। वहीं बरखा का किरदार एक सरप्राइज का सामना कर रहा है। दर्शक जरूर रिलेट करेंगे।

बरखा सेनगुप्ता
सवाल: आपको अपने किरदार की कौन-सी लेयर या पहलू सबसे ज़्यादा पसंद आया? 
मेरा किरदार थोड़ा डरा हुआ, सहमा हुआ और वल्नरेबल है और मैं रियल लाइफ में भी थोड़ी वल्नरेबल हूं। इस लेयर से मैं रिलेट कर पाई।

सवाल: जब आप बेटी थीं और अब जब मां हैं तो क्या फर्क महसूस होता है?
बरखा सेनगुप्ता
अब समझ आता है कि मां जो ज्ञान देती थीं वो सही था। मां बनने के बाद मुझे पेशेंस आया है और अपनी मां के लिए रिस्पेक्ट भी बढ़ गई है।

सोनाली कुलकर्णी
बिलकुल मेरी मम्मी थोड़ी सख्त थीं, तब समझ नहीं आता था। अब खुद मां बनकर समझ में आया कि सख्त होना क्यों ज़रूरी था। मैंने भी सोचा था कि मैं cool mom बनूंगी लेकिन नहीं, वो कूलनेस गायब हो जाती है।

सवाल: सेट पर दयानंद सर कैसे थे? एक प्रोड्यूसर की तरह या को-एक्टर की तरह?
सोनाली कुलकर्णी
कभी महसूस ही नहीं हुआ कि वह प्रोड्यूसर हैं। उन्होंने ज़िम्मेदारी दूसरों को दी और खुद एक को-स्टार की तरह पेश आए। परफॉर्मेंस में पूरा ध्यान दिया।

बरखा सेनगुप्ता
बिलकुल! सेट पर दया जी को देखकर कभी नहीं लगा कि वो प्रोड्यूसर हैं। बहुत सहज थे, सिंसियर थे।

सवाल: डायरेक्टर प्रबल सर के साथ काम करना कैसा रहा?
बरखा सेनगुप्ता
वो एक हार्ड टास्क मास्टर हैं। बहुत डिटेलिंग में जाते हैं। कभी-कभी लगता है, सर, समझ आ गया, अब आगे बढ़ते हैं लेकिन फिर लगता है नहीं, सर सही कह रहे हैं। वो जो मेहनत करते हैं, उसका रिजल्ट दिखता है।

सवाल: ऑडियंस को क्या मैसेज देना चाहेंगी आप इस फिल्म को लेकर? क्यों देखें ये फिल्म?
बरखा सेनगुप्ता
सस्पेंस एक ऐसा जॉनर है जो सबको पसंद आता है और अगर अच्छा सस्पेंस हो तो मजा ही अलग है। हमारी फिल्म वैसी ही है। तो प्लीज़ जाकर देखिए 7 नवंबर को थिएटर्स में देखिए।

सोनाली कुलकर्णी
फिल्म की कहानी बहुत उम्दा है, जिसमें आगे क्या होगा यह प्रिडिक्ट करना मुश्किल है। ऐसे ही सिनेमा के लिए लोग थिएटर तक आते हैं।

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