‘मैं सत्ता सुख के लिए नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए आया हूं’, पंजाब केसरी से विशेष बातचीत में बोले सीएम सुक्खू

Edited By rajesh kumar,Updated: 20 Mar, 2023 08:35 PM

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पंजाब केसरी से विशेष बातचीत में बोले हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ‘मैं सत्ता सुख के लिए नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए आया हूं’

नेशनल डेस्क: पंजाब केसरी से विशेष बातचीत में बोले हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ‘मैं सत्ता सुख के लिए नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए आया हूं’... जिनके माता-पिता नहीं, सरकार ही उनकी माता-पिता। सरकार उठाएगी उनकी फीस और हॉस्टल का खर्च, कपड़ों के लिए सालाना 10,000 देंगे, 4,000 रुपए पॉकेट मनी भी। घूमने के लिए हवाई व रेल यात्रा की सुविधा मिलेगी। अगर नेक नीयत थे तो पहले साल में ही खोलते, चुनाव पहले भाजपा के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर में ऐसी दैवीय शक्तिआ गई कि 900 संस्थान 6 महीने में खोल दिए। संस्थान खोलने से पहले भर्ती करते, बजट रखते।

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को दोबारा सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाने के बाद मुख्यमंत्री बने सुखविंदर सिंह सुक्खू अब प्रदेश को आर्थिक तौर पर ढर्रे पर लाने में जुटे हैं। एक-एक कर चुनावी वादे पूरे करने की रूपरेखा तैयार करने की ललक उनकी सरकार के पहले बजट में साफ नजर आई है। अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर उन्होंने शिमला स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में पंजाब केसरी के हरिश्चंद्र के साथ प्रदेश के वित्तीय, सामाजिक व राजनीतिक हालात पर विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं उस बातचीत के प्रमुख अंश:- 

आप विधानसभा में कभी ऑल्टो कार से आते हैं तो बजट पेश करने इलैक्ट्रिक गाड़ी से पहुंचे। सी.एम. के पास तो गाडिय़ों का बड़ा काफिला होता है फिर ऐसा क्यों?
मेरा मानना है कि अतीत को याद रखना चाहिए और वर्तमान में जीना चाहिए। ऑल्टो कार मेरा अतीत है। जब पहली बार विधायक बना तब 2002 में मैंने पहली बार ऑल्टो कार खरीदी। मेरा ड्राइवर गाड़ी चलाता था, खुद भी चलाता हूं क्योंकि मेरा शौक है गाड़ी चलाना। लेकिन अब मुख्यमंत्री बनने के बाद बंधनों में बंध गया हूं। प्रदेश को ग्रीन स्टेट बनाने के प्रति लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए इलैक्ट्रिक कार से बजट पेश करने विधानसभा पहुंचा।

एकल महिलाओं के लिए आपने बजट में आयु-सीमा खत्म करने और मुफ्त बिजली-पानी की सुविधा का ऐलान किया है। एकल महिलाओं के लिए और क्या-क्या करने की योजना है?
महिलाओं का किसी भी स्तर पर शोषण नहीं होना चाहिए। विधवा हो या एकल महिला, उन्हें घर बनाने के लिए डेढ़ लाख रुपए देंगे। साथ ही बिजली-पानी के मीटर का कोई पैसा नहीं लेंगे। वह अपने घर में रहेंगी।

मेधावी छात्राओं के लिए कोई योजना लाए हैं?
20,000 ऐसी छात्राओं को सरकार ई-स्कूटी पर 25,000 रुपए सब्सिडी देगी। गरीब छात्रों को भी 1 प्रतिशत की ब्याज दर से एजूकेशन लोन दिया जाएगा। ई-स्कूटी का मकसद राज्य को ग्रीन स्टेट बनाना है।

आपकी सरकार शायद रोडवेज के बेड़े में भी इलैक्ट्रिक बसें ही डालने जा रही है?
प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है। प्राकृतिक सौंदर्य से ही हिमाचल आगे बढ़ सकता है। इसका वातावरण, जलवायु स्वच्छ हो, हमारी सरकार इसी दृष्टिकोण से काम कर रही है। रोडवेज नहीं, हम तो प्राइवेट बस-ट्रक ऑप्रेटर को भी इलैक्ट्रिक बस-ट्रक खरीदने पर 50 लाख रुपए तक की सब्सिडी देंगे। 20 लाख रुपए की टैक्सी के लिए  हम 10 लाख रुपए की सब्सिडी देंगे। चार्जिंग स्टेशन के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी देंगे। 250 किलोवाट का सोलर प्रोजैक्ट लगाने के लिए युवाओं को 40 प्रतिशत अनुदान देंगे। यह सभी हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने के लिए हैं। हम ग्रीन हाइड्रोजन में भी अग्रणी राज्य बनना चाहते हैं।

आपने पुरानी पैंशन योजना बहाल कर दी है, इससे कितना बोझ खजाने पर पड़ेगा। कर्मचारियों की पैंशन के 8,000 करोड़ रुपए केंद्र के पास पड़े हैं। क्या लगता है, केंद्र आपको यह राशि देगा?
लड़ाई तो लडऩी पड़ेगी। केंद्र सरकार के पास जब पैसा जाता है तो कभी न कभी वापस आता ही है। मैं आशावादी हूं कि यह पैसा केंद्र से आएगा। रही बात ओल्ड पैंशन स्कीम की, तो इससे सरकार पर 1,000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। हमने इसका आकलन कर लिया है। हमारा मकसद इस फैसले से राजनीतिक फायदा लेना नहीं है, बल्कि सरकारी कर्मचारी को रिटायरमैंट के बाद भी सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना हमारा दायित्व है।

प्रदेश पहले ही कर्ज तले दबा है, उस पर 1,000 करोड़ का बोझ और पड़ जाएगा तो सरकार इस पैसे का बंदोबस्त कैसे करेगी?
75,000 करोड़ रुपए का कर्ज है, 11,000 करोड़ रुपए की देनदारियां हैं जिसमें पैंशन, छठे वेतन आयोग का एरियर और डी.ए. की देनदारी शामिल है। हम व्यवस्था कर रहे हैं और 4 साल में प्रदेश को समृद्धि के रास्ते पर ले आएंगे। हमारी नीयत साफ है, लगन है, काम करने की इच्छा भी है, मेहनत करने की भी ताकत है। मैं सत्ता सुख के लिए नहीं आया बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए आया हूं।

आप पर पूर्व भाजपा सरकार के समय के करीब 920 संस्थान बंद करने का आरोप है, जिसका भाजपा विरोध कर रही है। आपने यह संस्थान क्यों बंद किए?
मैंने संस्थान बंद नहीं किए। आपने नोटिफिकेशन जारी करके संस्थान खोल दिए, वहां दूसरे कार्यालयों से स्टाफ भेज दिया तो इससे वह ऑफिस भी कमजोर हुआ और नया ऑफिस भी। 286 स्कूलों में टीचर नहीं हैं, 3140 स्कूल सिंगल टीचर से चल रहे हैं। संस्थान खोलने से बेहतर है उनकी गुणवत्ता पर काम करना। ऐसी क्या मजबूरी थी संस्थान खोलने की। अगर नेक नीयत थे तो पहले साल में ही खोलते, चुनाव पहले भाजपा के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर में ऐसी दैवीय शक्ति आ गई कि 900 संस्थान 6 महीने में खोल दिए। संस्थान खोलने से पहले भर्ती करते, बजट रखते। जहां जरूरत है, वहां हम खोल भी रहे हैं। हमें पता चला कि जयराम ठाकुर के वहां कालेज बंद हो रहा था, हमने उसे खोल दिया।

कांग्रेस ने सूबे की महिलाओं को 1,500 रुपए की मासिक सहायता देने का वादा किया था। वह कब पूरा होगा?
2 लाख 31,000 महिलाओं को हम 1,500 करोड़ मासिक जल्द ही देंगे। इस पर 61 करोड़ रुपए सालाना खर्च आएगा। इसे हम 4-5 चरण में पूरा करेंगे और इसमें 20 लाख के करीब महिलाएं शामिल होंगी। 4 साल में हम अपनी इस गारंटी को पूरा करेंगे।

यह परंपरा रही है कि मुख्यमंत्री शपथ लेने के बाद सचिवालय जाकर पदभार ग्रहण करते हैं लेकिन आप शपथ लेने के बाद बेसहारा बच्चों से मिलने पहुंचे। इसके पीछे आपका क्या इरादा रहा?
समाज के हर वर्ग के लोग अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने आते हैं लेकिन एक तबका ऐसा भी है जो कभी मिलने नहीं आता मगर उनका अपना दर्द है, आवाज है। तो जिनके माता-पिता नहीं हैं, उनके दिल पर क्या बीतती होगी। परंपरा थी कि शपथ ग्रहण के बाद अधिकारी-कर्मचारी मुख्यमंत्री को सचिवालय में उनकी चेयर तक ले जाते हैं। हमने उस परंपरा को तोड़ा और बालिका आश्रम गए।

उनकी बातें सुनी तो विचार आया और मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष बनाया। इस कोष में 101 करोड़ रुपए रखा, मैंने अपना पूरा वेतन दिया और विधायकों से भी 1-1 लाख रुपए लिए। इनके अलावा कई ऐसे बच्चे भी हैं, जिनके माता-पिता नहीं है और जो अपने चाचा-मामा आदि के पास रहते हैं। तो हमने सोचा कि ऐसे सभी बच्चों की सरकार ही माता-पिता है। उन्हें ‘चिल्ड्रन ऑफ दी स्टेट’ का दर्जा दिया। 27 साल तक उनका पालन-पोषण सरकर करेगी। अगर वह बच्चा 27 साल तक नौकरी लग गया तो अपने-आप चला जाएगा। नहीं तो सरकार उसे 3 बिस्वे का प्लॉट देगी ताकि गुजर-बसर कर सके।

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