Edited By Tanuja,Updated: 21 Oct, 2025 07:10 PM

चीन ने अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए ऑकस समझौते के नवीनीकरण की आलोचना की है। बीजिंग ने कहा कि यह हथियारों की होड़ और परमाणु प्रसार के खतरे को बढ़ाएगा। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऑकस को पूरी तरह आगे बढ़ाने की घोषणा की है,...
Bejing: चीन ने मंगलवार को ‘ऑकस', यानी ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच हुए परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बी समझौते के नवीनीकरण की आलोचना की। चीन ने कहा कि वह गुटीय टकराव और ऐसी किसी भी गतिविधि का विरोध करता है, जो परमाणु प्रसार के खतरे को बढ़ाए या हथियारों की होड़ को और भड़काए। एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने के प्रयास के रूप में देखे जाने वाले, तीनों देशों ने 2021 में एक ऐतिहासिक सुरक्षा समझौते की घोषणा की, जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया को पहली बार अमेरिकी तकनीक का उपयोग करके परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों के निर्माण में मदद मिलेगी।
इस समझौते में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर और क्वांटम प्रौद्योगिकियां भी शामिल होंगी। चीन इसकी आलोचना में मुखर रहा है और कहता रहा है कि ऑकस, अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच ‘क्वाड' गठबंधन के साथ मिलकर, उसके प्रभाव का मुकाबला करने के उद्देश्य से बनाया गया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जैकुन ने मंगलवार को कहा, “चीन ने एक से अधिक बार अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच तथाकथित त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है, जिसका उद्देश्य परमाणु पनडुब्बियों और अन्य अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकियों पर सहयोग को बढ़ावा देना है।”
जब उनसे ऑकस के फिर से सक्रिय होने पर प्रतिक्रिया मांगी गयी तो उन्होंने यहां मीडिया से कहा, “हम गुटीय टकराव और ऐसी किसी भी चीज का विरोध करते हैं जो परमाणु प्रसार के जोखिम और हथियारों की होड़ को बढ़ाती है।” अमेरिका के ऑकस से अलग होने को लेकर महीनों की अनिश्चितता और अटकलों के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ अपनी बैठक में कहा कि उन्होंने इसके साथ पूरी तरह से आगे बढ़ने का फैसला किया है।