Year Ender 2025: 2025 में कितनी बदली ब्याज दरें, जानें RBI ने कब-कब घटाया रेपो रेट

Edited By Updated: 11 Dec, 2025 05:39 PM

how much have interest rates changed in 2025 find out when rbi reduced the repo

Year Ender 2025 RBI News देश की आर्थिक रफ्तार धीमी पड़ने और महंगाई के दबाव बढ़ने पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) लगातार हस्तक्षेप करता रहा है। RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) हर दो महीने में बैठक कर मुद्रास्फीति, ब्याज दरों और GDP की स्थिति का आकलन...

बिजनेस डेस्कः Year Ender 2025 RBI News देश की आर्थिक रफ्तार धीमी पड़ने और महंगाई के दबाव बढ़ने पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) लगातार हस्तक्षेप करता रहा है। RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) हर दो महीने में बैठक कर मुद्रास्फीति, ब्याज दरों और GDP की स्थिति का आकलन करती है और यह तय करती है कि बाजार में कितनी लिक्विडिटी रखी जाए तथा कर्ज की लागत में क्या बदलाव किए जाएं।

2025 में कितनी बदली ब्याज दर?

RBI ने वर्ष 2025 में आम जनता और कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुए कुल 125 बेसिस प्वाइंट की कटौती की और रेपो रेट को 6.5% से घटाकर 5.25% पर ले आया।

  • फरवरी: 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती
  • अप्रैल: 25 बेसिस प्वाइंट की और कमी
  • जून: उम्मीद से ज्यादा, 50 बेसिस प्वाइंट की बड़ी कटौती
  • दिसंबर: फिर 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती

रेपो रेट घटने से घर–कार लोन सस्ते हुए, EMI कम हुई और लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ी। इसकी वजह से बाजार में मांग बढ़ी, वहीं कंपनियों के लिए पूंजी हासिल करना आसान हो गया, जिससे उनका कैश फ्लो सुधरा।

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि ब्याज दरों में तेज कटौती से कभी-कभी कैपिटल आउटफ्लो भी बढ़ता है। दूसरे देशों में ब्याज दरें ऊंची होने पर विदेशी निवेशक वहां निवेश करना पसंद करते हैं, जिससे रुपए की कमजोरी और बढ़ सकती है।

और ये भी पढ़े

    आर्थिक मोर्चों पर क्या असर?

    दिल्ली यूनिवर्सिटी के आर्यभट्ट कॉलेज की अर्थशास्त्री डॉ. आस्था आहुजा का मानना है कि RBI की मौद्रिक नीति का सीधा प्रभाव स्टॉक मार्केट की दिशा पर दिखाई देता है।

    • ब्याज दरों में बदलाव
    • बाजार में लिक्विडिटी
    • निवेशकों की भावनाएं

    ये तीनों मिलकर बाजार की चाल तय करते हैं।

    रेपो रेट में कमी से लोन सस्ता होता है और आर्थिक गतिविधियां तेज होती हैं, लेकिन इसका असर भुगतान संतुलन (BOP), महंगाई और पहले से कमजोर पड़े रुपये पर भी पड़ता है, जो डॉलर के मुकाबले 90 से ऊपर जा चुका है।

    फिलहाल, जहां लार्ज कैप शेयर बाजार में मजबूती दिखा रहे हैं, वहीं मिड-कैप और स्मॉल-कैप पर दबाव जारी है। मांग में कमजोरी इसका बड़ा कारण है। मौजूदा स्थिति में RBI को अपनी नीति बेहद संतुलित रखनी होगी ताकि आर्थिक विकास और महंगाई, दोनों पर नियंत्रण बना रहे और रुपये के और ज्यादा फिसलने को रोका जा सके।
     

    Related Story

      IPL
      Royal Challengers Bengaluru

      190/9

      20.0

      Punjab Kings

      184/7

      20.0

      Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

      RR 9.50
      img title
      img title

      Be on the top of everything happening around the world.

      Try Premium Service.

      Subscribe Now!