Edited By Pardeep,Updated: 09 Jul, 2025 12:09 AM

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की नकली आवाज़ बनाकर एक व्यक्ति ने कई विदेशी नेताओं और अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क किया। यह खुलासा रॉयटर्स द्वारा देखे गए एक राजनयिक केबल (State Department Cable) में हुआ है।
वॉशिंगटनः अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की नकली आवाज़ बनाकर एक व्यक्ति ने कई विदेशी नेताओं और अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क किया। यह खुलासा रॉयटर्स द्वारा देखे गए एक राजनयिक केबल (State Department Cable) में हुआ है। इस फर्जीवाड़े में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से रुबियो की आवाज़ तैयार की गई थी ताकि उसे असली समझा जाए।
किन लोगों को बनाया गया निशाना?
इस मामले में फर्जी मार्को रुबियो ने:
कुछ मामलों में वॉइसमेल छोड़े गए, और एक मामले में टेक्स्ट मैसेज भेजा गया जिसमें सामने वाले को Signal पर बात करने के लिए आमंत्रित किया गया।
क्या कहा स्टेट डिपार्टमेंट ने?
3 जुलाई 2025 को अमेरिकी विदेश मंत्रालय (State Department) ने सभी दूतावासों और कांसुलर पोस्ट्स को एक आधिकारिक संदेश (cable) भेजा। इसमें अधिकारियों को सलाह दी गई कि वे अपने विदेशी सहयोगियों को फर्जी अकाउंट्स और पहचान की चोरी (Impersonation) से सतर्क करें।
केबल में कहा गया: "ऐसा प्रतीत होता है कि हमलावर का उद्देश्य AI से बनी आवाज़ और टेक्स्ट के ज़रिए लोगों को गुमराह कर उनके निजी डेटा या अकाउंट तक पहुंच पाना था।" हालांकि, मंत्रालय ने कहा कि इससे विदेश मंत्रालय की साइबर सुरक्षा को कोई सीधा खतरा नहीं है, लेकिन अगर किसी ने गलती से जानकारी साझा कर दी, तो उसका डेटा लीक हो सकता है।
रूस से जुड़ी एक पुरानी साइबर हमले की भी हुई पुष्टि
इस रिपोर्ट में अप्रैल 2025 की एक और घटना का ज़िक्र किया गया है, जिसमें एक रूस-समर्थित हैकर ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय के नाम और पहचान का नकली इस्तेमाल किया।
उस हमले में:
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थिंक टैंक्स
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पूर्वी यूरोप के कार्यकर्ता
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असंतुष्ट नेता (डिसिडेंट्स)
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पूर्व राजनयिक
को टारगेट किया गया।
हमलावर ने इसमें फर्जी @state.gov ईमेल आईडी, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के लोगो और ब्रांडिंग का इस्तेमाल किया और यह दिखाने की कोशिश की कि संदेश आधिकारिक हैं।
रिपोर्ट में बताया गया: "उस साइबर एक्टर को विदेश मंत्रालय की आंतरिक प्रक्रियाओं और नामकरण व्यवस्था की गहराई से जानकारी थी।" इस फिशिंग हमले में Gmail अकाउंट्स पर संदेश भेजे गए थे। अमेरिकी एजेंसियों और इंडस्ट्री विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभियान रूस की विदेशी खुफिया एजेंसी (Foreign Intelligence Service) से जुड़ा था।