Edited By Tanuja,Updated: 18 Dec, 2025 07:54 PM

अमेरिका ने परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू करने के संकेत दिए हैं। वियना में अमेरिकी अधिकारी ने रूस, चीन और उत्तर कोरिया पर गुप्त परीक्षण के आरोप लगाए। रूस ने इन आरोपों को खारिज किया। विशेषज्ञों के अनुसार इससे वैश्विक परमाणु हथियार नियंत्रण व्यवस्था कमजोर...
Washington: अमेरिका ने परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू करने के संकेत दिए हैं। वियना में अमेरिकी अधिकारी ने रूस, चीन और उत्तर कोरिया पर गुप्त परीक्षण के आरोप लगाए। रूस ने इन आरोपों को खारिज किया। विशेषज्ञों के अनुसार इससे वैश्विक परमाणु हथियार नियंत्रण व्यवस्था कमजोर हो सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू करने के बयान ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। अब इस बयान का बचाव करते हुए अमेरिका ने रूस, चीन और उत्तर कोरिया से बढ़ते परमाणु खतरे का हवाला दिया है।
वियना में समग्र परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि संगठन (CTBTO) की बैठक के दौरान अंतरराष्ट्रीय संगठनों में अमेरिका के प्रभारी हावर्ड सोलोमन ने कहा कि अमेरिका अन्य परमाणु संपन्न देशों के “बराबरी के आधार” पर परीक्षण गतिविधियां शुरू करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और राष्ट्रीय सुरक्षा के अनुरूप होगी। सोलोमन ने आरोप लगाया कि रूस और चीन 2019 से शून्य-उपज (Zero Yield) परमाणु परीक्षण प्रतिबंध का उल्लंघन कर रहे हैं, जबकि उत्तर कोरिया इस सदी में छह परमाणु परीक्षण कर चुका है। उन्होंने कहा कि बेहद कम शक्ति वाले भूमिगत परीक्षणों का पता लगाना वैश्विक निगरानी नेटवर्क के लिए भी मुश्किल है। हालांकि रूस और चीन दोनों ने इन आरोपों को खारिज किया है।
रूस के प्रतिनिधि मिखाइल उल्यानोव ने कहा कि परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू होना वैश्विक सुरक्षा और अप्रसार व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा होगा। उन्होंने अमेरिका से अपने रुख पर स्पष्ट जवाब देने की मांग की।अमेरिका ने पलटवार करते हुए रूस पर न्यू स्टार्ट संधि के उल्लंघन और बड़ी संख्या में गैर-रणनीतिक परमाणु हथियार रखने का आरोप लगाया। विशेषज्ञों का मानना है कि ये हथियार युद्ध के मैदान में इस्तेमाल के लिए बनाए जाते हैं, जिससे इनके प्रयोग की आशंका अधिक रहती है। गौरतलब है कि न्यू स्टार्ट संधि 5 फरवरी को समाप्त होने वाली है। यदि इसे आगे नहीं बढ़ाया गया, तो दशकों बाद पहली बार अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों पर कोई कानूनी सीमा नहीं रहेगी। इससे दुनिया एक बार फिर खतरनाक परमाणु दौड़ की ओर बढ़ सकती है।