H-1B Visa Fee Hike: अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों को बड़ा झटका, H-1B वीज़ा फीस में भारी बढ़ोतरी

Edited By Updated: 21 Sep, 2025 08:39 AM

huge hike in h 1b visa fees in us experts express concern

अमेरिका में काम करने का सपना देख रहे भारतीय पेशेवरों को बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी सरकार ने H-1B वीज़ा की फीस में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है जिससे अब एक वीज़ा के लिए ₹85-86 लाख (लगभग $100,000) तक का खर्च आ सकता है। यह फैसला भारतीय आईटी...

इंटरनेशनल डेस्क। अमेरिका में काम करने का सपना देख रहे भारतीय पेशेवरों को बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी सरकार ने H-1B वीज़ा की फीस में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है जिससे अब एक वीज़ा के लिए ₹85-86 लाख (लगभग $100,000) तक का खर्च आ सकता है। यह फैसला भारतीय आईटी कंपनियों, स्टार्टअप्स और पेशेवरों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

क्यों बढ़ाई गई है H-1B वीज़ा फीस?

यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से अमेरिकी नियोक्ताओं द्वारा वहन की जाएगी। इस भारी लागत के कारण कंपनियों के लिए नए कर्मचारियों को स्पॉन्सर करना बेहद महंगा हो जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल नई हायरिंग को रोकेगा बल्कि उन भारतीय कर्मचारियों की स्थिति को भी अनिश्चित कर देगा जो पहले से अमेरिका में काम कर रहे हैं क्योंकि उनके लिए भी यह शुल्क लागू हो सकता है।

भारत और अमेरिका पर क्या होगा असर?

यह फैसला दोनों देशों के संबंधों पर गहरा असर डाल सकता है।

भारतीय पेशेवरों पर असर: इस भारी खर्च के कारण, H-1B वीज़ा सिर्फ उच्च-वेतन वाली और शीर्ष-स्तरीय भूमिकाओं तक सीमित हो जाएगा। मध्यम वर्गीय नौकरीपेशा लोगों के लिए अमेरिका में काम करना लगभग असंभव हो जाएगा।

भारतीय कंपनियों पर असर: भारतीय आईटी कंपनियों और स्टार्टअप्स को असहनीय लागतों का सामना करना पड़ेगा। इससे अमेरिका-भारत के बीच व्यापारिक संबंध बाधित हो सकते हैं।

प्रतिभाओं का पलायन: विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम अमेरिका को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के बजाय उन्हें दूर कर सकता है। कई योग्य भारतीय अब कनाडा, यूरोप या ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की ओर रुख कर सकते हैं जहां आप्रवासन नीतियां ज़्यादा अनुकूल हैं।

आगे क्या?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुद्दे को हल करने के लिए कूटनीतिक समाधान और व्यावहारिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि अमेरिका अपनी आर्थिक और तकनीकी ज़रूरतों के लिए वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करता रहे जबकि भारतीय पेशेवरों के लिए भी अवसरों की कमी न हो। कुल मिलाकर अमेरिका में रहने वाले भारतीय भी इस फैसले से खुश नहीं हैं और इसे एक स्वागत योग्य कदम नहीं मान रहे हैं।

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