इस देश के इतिहास का बेहद खूनी और डरावना रहा यह साल! अब तक 347 लोगों को दी गई फां'सी....ड्रग्स केस में भी मौत की सजा

Edited By Updated: 22 Dec, 2025 10:30 PM

in saudi arabia the death penalty is also given in drug cases

सऊदी अरब में मौत की सजा (फांसी) को लेकर सामने आए नए आंकड़ों ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। यहां फांसी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले साल बना रिकॉर्ड इस साल फिर टूट गया है, जिससे मानवाधिकार संगठनों की चिंता और गहरी हो गई है।

इंटरनेशनल डेस्कः सऊदी अरब में मौत की सजा (फांसी) को लेकर सामने आए नए आंकड़ों ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। यहां फांसी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले साल बना रिकॉर्ड इस साल फिर टूट गया है, जिससे मानवाधिकार संगठनों की चिंता और गहरी हो गई है।

इस साल अब तक 347 लोगों को दी गई मौत की सजा

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन के मानवाधिकार कैंपेन ग्रुप रिप्रीव (Reprieve) ने बताया है कि साल 2025 में अब तक करीब 347 लोगों को फांसी की सजा दी जा चुकी है। जबकि 2024 में यह संख्या 345 थी। यानी इस साल फांसी के मामलों में और इजाफा हुआ है।
रिपोर्ट में इसे सऊदी अरब के इतिहास का एक बेहद खूनी और डरावना साल बताया गया है।

पत्रकार और प्रदर्शन करने वाले युवा भी शामिल

इस साल जिन लोगों को मौत की सजा दी गई है, उनमें पत्रकार, सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले युवा और आम नागरिक भी शामिल हैं। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इनमें से कई मामलों में न्याय प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही।

ड्रग्स मामलों में सबसे ज्यादा फांसी

रिप्रीव के मुताबिक, इस साल दी गई कुल फांसियों में से करीब दो-तिहाई मामले ड्रग्स से जुड़े अपराधों के हैं। इन मामलों में बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। इसे सऊदी सरकार की ड्रग्स के खिलाफ सख्त मुहिम माना जा रहा है, लेकिन मानवाधिकार संगठन इसे बेहद क्रूर बता रहे हैं।

हशीश (चरस) के मामलों में भी मौत की सजा

रिपोर्ट में बताया गया है कि 96 लोगों को सिर्फ हशीश (चरस) से जुड़े मामलों में फांसी दी गई। रिप्रीव से जुड़े और मिडिल ईस्ट व नॉर्थ अफ्रीका में काम कर रहे जीद बसयौनी ने कहा कि “सऊदी अरब का मानवाधिकार सिस्टम एक मजाक बनकर रह गया है। इन कार्रवाइयों में अक्सर निर्दोष और समाज के कमजोर लोग फंस जाते हैं।” मानवाधिकार कार्यालय ने इन फांसियों को बेहद दुखद और चिंताजनक करार दिया है।

परिवारों को नहीं दी जाती जानकारी

ह्यूमन राइट्स वॉच में सऊदी अरब पर रिसर्च करने वाले जॉय शी ने कहा कि “क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और उनके अधिकारियों को इन फांसियों के लिए कभी जवाबदेह नहीं ठहराया गया।” उन्होंने बताया कि जिन लोगों को फांसी दी जाती है, उनके परिवारों को पहले से सूचना तक नहीं दी जाती। इसके अलावा यह भी साफ नहीं किया जाता कि फांसी किस तरीके से दी गई।

सिर कलम से लेकर फायरिंग स्क्वॉड तक

रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में मौत की सजा देने के लिए सिर कलम करना (शिरच्छेद) और फायरिंग स्क्वॉड जैसे तरीके अपनाए जाते हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद क्रूर माना जाता है।

संयुक्त राष्ट्र की अपील

संयुक्त राष्ट्र (UN) पहले ही सऊदी अरब से मौत की सजा पर रोक लगाने की अपील कर चुका है। लेकिन इसके बावजूद फांसी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

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