Edited By Anu Malhotra,Updated: 22 Dec, 2025 09:31 AM

उत्तर कोरिया की सरकार लाल लिपस्टिक और गहरे मेकअप को पश्चिमी संस्कृति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संकेत मानती है। किम जोंग-उन के नेतृत्व वाली सरकार का मानना है कि यह युवाओं में व्यक्तिवाद और व्यक्तिगत ग्लैमर की भावना पैदा करता है, जो राज्य की...
नेशनल डेस्क: सोचिए, आप सिर्फ अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए लाल लिपस्टिक लगाना चाहती हैं… और अचानक आपको लगता है कि ये एक अपराध है! एक ऐसा देश भी मौजूद है, जहां लाल लिपस्टिक सिर्फ फैशन का हिस्सा नहीं, बल्कि कानून के खिलाफ खड़ा होने वाला कदम माना जाता है। यहां आपकी खूबसूरती की आज़ादी भी सरकार की अनुमति पर निर्भर करती है।
क्यों लाल रंग है प्रतिबंधित?
उत्तर कोरिया की सरकार लाल लिपस्टिक और गहरे मेकअप को पश्चिमी संस्कृति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संकेत मानती है। किम जोंग-उन के नेतृत्व वाली सरकार का मानना है कि यह युवाओं में व्यक्तिवाद और व्यक्तिगत ग्लैमर की भावना पैदा करता है, जो राज्य की सामूहिकता और नियंत्रण के सिद्धांतों के खिलाफ है। इसलिए यहां महिलाओं के लिए मेकअप को भी राजनैतिक दृष्टिकोण से परखा जाता है।
‘फैशन पुलिस’ रहती है तैनात
सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, महिलाएं केवल हल्के रंगों की लिपस्टिक और सीमित मेकअप इस्तेमाल कर सकती हैं। स्थानीय तौर पर तैयार कॉस्मेटिक्स की अनुमति है, लेकिन विदेशी ब्रांड और गहरे रंग वाले उत्पाद नियमों के खिलाफ माने जाते हैं। इन नियमों की निगरानी के लिए खास टीमें तैनात हैं, जिन्हें आमतौर पर ‘फैशन पुलिस’ कहा जाता है। ये टीमें सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों और सड़कों पर महिलाओं के पहनावे और मेकअप की जांच करती हैं।
उल्लंघन की कीमत
अगर कोई महिला लाल लिपस्टिक या अन्य प्रतिबंधित मेकअप का इस्तेमाल करती है, तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। मामूली उल्लंघन पर चेतावनी या जुर्माना मिल सकता है, लेकिन बार-बार नियम तोड़ने वालों को सार्वजनिक फटकार, पूछताछ, सुधारात्मक श्रम या अस्थायी हिरासत का सामना करना पड़ सकता है। मानवाधिकार समूहों के अनुसार, इन सजाओं में अक्सर पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया का अभाव होता है।
महिलाओं के हेयरस्टाइल भी सीमित
उत्तर कोरिया में मेकअप पर पाबंदी केवल सौंदर्य का मामला नहीं है। यह समाज पर सरकार के नियंत्रण का हिस्सा है। जैसे ही महिलाओं के लिए हेयरस्टाइल सीमित हैं, वैसे ही मेकअप भी राज्य द्वारा तय सीमाओं में रहना चाहिए। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के नियम नागरिकों की व्यक्तिगत पहचान पर रोक लगाकर उन्हें सत्ता के अनुकूल बनाने का तरीका हैं।