देश में किन-किन जगहों पर हाथियों की वजह से ट्रेन की लग जाती है ब्रेक, फिर भी हो रहे हादसे

Edited By Updated: 20 Dec, 2025 06:20 PM

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असम के होजई जिले में सैरांग-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस की चपेट में आने से आठ जंगली हाथियों की मौत हो गई। हादसा जंगल वाले रेलवे ट्रैक पर हुआ, जिससे पांच डिब्बे पटरी से उतर गए। दुर्घटना के कारण नौ ट्रेनों को रद्द और कई को नियंत्रित किया गया।...

नेशनल डेस्क : असम के होजई जिले में शनिवार तड़के एक भयानक और दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें सैरांग-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस की चपेट में आने से आठ जंगली हाथियों की मौत हो गई। यह घटना जिले के एक वन क्षेत्र में हुई, जहां हाथियों का एक झुंड रेलवे ट्रैक पार कर रहा था। टक्कर इतनी भीषण थी कि ट्रेन का इंजन और पांच डिब्बे पटरी से उतर गए।

हादसे की वजह से पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) रूट की नौ ट्रेनों को रद्द कर दिया गया, 13 ट्रेनों को नियंत्रित किया गया और दो को शॉर्ट-टर्मिनेट कर दिया गया। हादसे के समय कुहासा होने की वजह से ट्रेन ड्राइवर हाथियों को समय पर देख नहीं पाए। हादसे से संबंधित रेलवे अधिकारियों ने बताया कि यह दुर्घटना जमुनामुख-कामपुर सेक्शन में हुई, जो लुमडिंग-गुवाहाटी डिवीजन का हिस्सा है।

प्रभावित ट्रेन सेवाएं
हादसे के कारण रंगिया-न्यू तिनसुकिया एक्सप्रेस, गुवाहाटी-जोरहाट टाउन जन शताब्दी एक्सप्रेस, गुवाहाटी-बदरपुर विस्टाडोम एक्सप्रेस, न्यू तिनसुकिया-रंगिया एक्सप्रेस और सैरांग-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस जैसी कई प्रमुख ट्रेनें प्रभावित हुईं। इसके अलावा ट्रेन संख्या 15769 (अलीपुरद्वार-मरियानी) को डिगारू में शॉर्ट-टर्मिनेट कर दिया गया और ट्रेन संख्या 15770 (मरियानी-अलीपुरद्वार) को भी डिगारू से शॉर्ट-टर्मिनेट किया गया।

हादसे की वजह और ट्रेन-हाथी टकराव
विशेषज्ञों के अनुसार, जंगलों और वन क्षेत्र से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक हाथियों के पारगमन मार्ग में आते हैं, जिससे अक्सर ट्रेन-हाथी टकराव की घटनाएं घटित होती हैं। खासकर असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, तमिलनाडु और केरल में यह समस्या आम है। कोहरा, बारिश और जंगल के घने हिस्सों में मोड़ होने की वजह से लोको पायलट समय पर हाथियों को नहीं देख पाते, और ट्रेन की गति अधिक होने के कारण ब्रेक लगाने में देर हो जाती है।

हाथी झुंड में चलते हैं, और अगर उनमें से एक घायल हो जाता है तो बाकी हाथी घबराकर अपने बच्चों को बचाने की कोशिश करते हैं, जिससे हादसों में मौतों की संख्या बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रेन ड्राइवरों के पास रियल-टाइम चेतावनी देने वाले सेंसर और कैमरा सिस्टम की कमी भी इन दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है।

संवेदनशील रूट्स और इतिहास
यह हादसा पहली बार नहीं हुआ है। भारत में कई ऐसे संवेदनशील रूट हैं, जहां ट्रेन और हाथियों के बीच टकराव की घटनाएं हो चुकी हैं। असम में लुमडिंग-गुवाहाटी और जमुनामुख-कामपुर सेक्शन, पश्चिम बंगाल में अलीपुरद्वार-सिलीगुड़ी और सिलीगुड़ी-न्यू जलपाईगुड़ी-अलीपुरद्वार रूट, ओडिशा के क्योंझर, जाजपुर, सुंदरगढ़ और गंजम, तमिलनाडु-केरल बॉर्डर के कोयंबटूर-त्रिशूर रूट के मदुक्कराई सेक्शन, झारखंड-वेस्ट बंगाल रूट, और उत्तर भारत में हरिद्वार-देहरादून रेलवे लाइन पर पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। इन रूटों पर ट्रैक अक्सर हाथियों के रहने वाले इलाकों, कॉरिडोर और पारगमन मार्ग से होकर गुजरते हैं। इससे यह खतरा हमेशा बना रहता है।

सुरक्षा और रोकथाम के उपाय
रेलवे और वन विभाग ने हाथियों की सुरक्षा के लिए कई उपाय किए हैं। इन उपायों में AI-बेस्ड अर्ली वॉर्निंग सिस्टम, इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम (IDS), संवेदनशील इलाके में स्पीड लिमिट, डिजिटल ट्रैकिंग और संयुक्त पेट्रोलिंग शामिल हैं। इन तकनीकी सुधारों और सतर्क ड्राइवरों की तत्परता से कई हादसों को रोका जा चुका है। हालांकि, यह हादसा यह साबित करता है कि हाथियों की सुरक्षा के लिए और अधिक सतर्कता और तकनीकी उपायों की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जंगल वाले इलाकों में ट्रेन ड्राइवरों को समय पर रियल-टाइम अलर्ट मिलने पर इन हादसों की संख्या काफी कम की जा सकती है।

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