Edited By Rohini Oberoi,Updated: 22 Dec, 2025 01:54 PM

आमतौर पर हम उम्मीद करते हैं कि एक सॉफ्टवेयर डेवलपर किसी बड़ी टेक कंपनी के वातानुकूलित (AC) केबिन में बैठकर कोडिंग कर रहा होगा लेकिन 26 साल के मुकेश मंडल की कहानी बिल्कुल अलग है। मुकेश रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में सड़कों की सफाई करने वाले सफाई...
इंटरनेशनल डेस्क। आमतौर पर हम उम्मीद करते हैं कि एक सॉफ्टवेयर डेवलपर किसी बड़ी टेक कंपनी के वातानुकूलित (AC) केबिन में बैठकर कोडिंग कर रहा होगा लेकिन 26 साल के मुकेश मंडल की कहानी बिल्कुल अलग है। मुकेश रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में सड़कों की सफाई करने वाले सफाई कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि वह वहां अकेले नहीं हैं बल्कि उनके साथ भारत के आर्किटेक्ट, ड्राइवर और किसान भी झाड़ू उठा रहे हैं।
सफाई के काम में मोटी कमाई
मुकेश और उनके साथियों को रूस में इस काम के लिए जो वेतन मिल रहा है वह भारत में कई मध्यम स्तर की कॉर्पोरेट नौकरियों से भी ज्यादा है। हर मजदूर को महीने के लगभग 1 लाख रूबल मिलते हैं जो भारतीय मुद्रा में करीब ₹1.1 लाख के बराबर हैं। जिस रोड मेंटेनेंस कंपनी (Kolomyazhskoye) के लिए वे काम कर रहे हैं वह उनके रहने (डॉर्म), खाने-पीने और काम की जगह तक आने-जाने का पूरा खर्च उठाती है। उन्हें विशेष सुरक्षा वाले कपड़े (यूनिफॉर्म) भी दिए जाते हैं। सारा खर्च कंपनी द्वारा उठाए जाने के कारण मजदूरों की पूरी सैलरी बचत के रूप में जमा होती है।

माइक्रोसॉफ्ट टेक्नोलॉजी से लेकर झाड़ू तक का सफर
मुकेश मंडल का दावा है कि रूस आने से पहले वे टेक सेक्टर में काफी सक्रिय थे। रूसी मीडिया आउटलेट फोंटांका से बात करते हुए मुकेश ने बताया, वे AI, चैटबॉट और GPT जैसी आधुनिक तकनीकों पर काम कर चुके हैं। उनका कहना है कि उन्होंने ऐसी संस्थाओं के साथ काम किया है जो माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों की टेक्नोलॉजी का उपयोग करती हैं।
रूस क्यों आए? मुकेश का उद्देश्य स्पष्ट है—पैसा कमाना। उनका कहना है, "मेरा प्लान इस साल रूस में रहकर कुछ अच्छे पैसे कमाने का है और फिर मैं वापस भारत लौट जाऊंगा।"

किसान से लेकर आर्किटेक्ट तक
मुकेश जिस ग्रुप का हिस्सा हैं उसमें भारत के 17 लोग शामिल हैं जिनकी उम्र 19 से 43 साल के बीच है। इन लोगों का बैकग्राउंड हैरान करने वाला है:
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ग्रुप में सिर्फ मजदूर नहीं बल्कि आर्किटेक्ट, वेडिंग प्लानर, ड्राइवर, बिजनेसमैन और किसान भी शामिल हैं।
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ये सभी अलग-अलग पेशेवर क्षेत्रों से होने के बावजूद बेहतर आर्थिक भविष्य के लिए रूस में शारीरिक श्रम (Manual Labor) करने को तैयार हैं।
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क्या कहना है रूसी कंपनी का?
'कोलोम्याजस्कोये' (Kolomyazhskoye JSC) की सफाई विभाग की प्रमुख मारिया ट्याबिना ने बताया कि वे इन विदेशी मजदूरों का पूरा ख्याल रखते हैं। कंपनी न केवल उनका पेपरवर्क संभालती है बल्कि उन्हें काम की बारीकियां भी समझाती है। फिलहाल ये लोग अस्थाई तौर पर वहां काम कर रहे हैं और इनका लक्ष्य कम समय में अधिक बचत करना है।