55 बार मनाई सुहागरात, रात के अंधेरे में नई नवेली दुल्हन के साथ करता 'वो वाला' काम, फिर सुबह होते ही...

Edited By Updated: 22 Dec, 2025 01:44 PM

rajasthan groom celebrates his wedding night 55 times

राजस्थान की रेतीली धरती पर वीरों की गाथाएं तो आपने बहुत सुनी होंगी लेकिन इसी रेगिस्तान में एक ऐसा काला अध्याय भी दर्ज है जो रूह कंपा देता है। यह कहानी है जीयाराम की जिसे बाड़मेर और आसपास के सरहदी इलाकों में 'कुंवारे जंवाई राजा' के नाम से जाना जाता...

नेशनल डेस्क। राजस्थान की रेतीली धरती पर वीरों की गाथाएं तो आपने बहुत सुनी होंगी लेकिन इसी रेगिस्तान में एक ऐसा काला अध्याय भी दर्ज है जो रूह कंपा देता है। यह कहानी है जीयाराम की जिसे बाड़मेर और आसपास के सरहदी इलाकों में 'कुंवारे जंवाई राजा' के नाम से जाना जाता था। इस व्यक्ति ने 55 बार सुहागरात मनाई। रात के अंधेरे में नई नवेली दुल्हन के साथ वो वाला काम करता फिर सुबह होते ही वह घर से गायब हो जाता। यह एक ऐसा अपराधी था जिसने रिश्तों की पवित्रता और समाज के विश्वास को अपनी ढाल बनाकर दर्जनों मासूम जिंदगियों को बर्बाद कर दिया।

जंवाई राजा बनकर देता था धोखा

जीयाराम का अपराध करने का तरीका (Modus Operandi) किसी डरावनी फिल्म की पटकथा जैसा था। वह केवल अंधेरे या हथियारों के दम पर नहीं बल्कि मनोवैज्ञानिक खेल खेलकर शिकार करता था। वह ऐसे घरों की तलाश करता जहां हाल ही में शादी हुई हो और नई नवेली दुल्हन पहली बार अपने पीहर (मायके) आई हो। वह सुनिश्चित करता कि घर के मर्द काम के सिलसिले में बाहर गए हों। रात के अंधेरे का फायदा उठाकर वह दामाद बनकर घर में घुस जाता। उन दिनों गांवों में बिजली नहीं थी और घूंघट प्रथा के कारण लोग चेहरा नहीं देख पाते थे। परिवार के बुजुर्ग उसे असली दामाद समझकर खूब खातिरदारी करते।

रात भर सुहागरात का ढोंग 

वह बड़ी बेशर्मी से दुल्हन के कमरे में पति बनकर दाखिल होता। लोक-लाज और संकोच के कारण कोई भी सदस्य उस पर शक नहीं करता था। वह पूरी रात सुहागरात का ढोंग करता और जैसे ही दुल्हन और परिवार गहरी नींद में सो जाते वह अपना असली काम शुरू करता।

लूट और लोक-लाज का खेल

जीयाराम का मकसद सिर्फ जिस्मानी शोषण नहीं बल्कि बड़ी लूट भी था। वह सोते हुए दुल्हन के शरीर से सोने-चांदी के जेवरात और घर की तिजोरी साफ कर सुबह होने से पहले गायब हो जाता। जब सुबह सच सामने आता तो परिवार सदमे में डूब जाता। बदनामी के डर से कई परिवारों ने कभी पुलिस को शिकायत नहीं की। कई महिलाओं ने तो अपनी पूरी जिंदगी इस कड़वे सच को किसी को बताए बिना ही गुजार दी।

 

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पुलिस रिकॉर्ड बनाम हकीकत

राजस्थान पुलिस के दस्तावेजों में जीयाराम का नाम एक शातिर हिस्ट्रीशीटर के रूप में दर्ज था:

पहली FIR: साल 1988 में चौहटन थाने में उसके खिलाफ पहला मामला दर्ज हुआ।

अपराध का ग्राफ: 1990 से 1996 के बीच उसने बाड़मेर के सिणधरी, समदड़ी और धोरीमन्ना जैसे इलाकों में आतंक मचाया।

आंकड़े: पुलिस रिकॉर्ड में चोरी और छेड़छाड़ के 17 मामले दर्ज थे लेकिन स्थानीय लोगों और जानकारों का मानना है कि उसने 55 से ज्यादा घरों की खुशियां उजाड़ी थीं।

अपराधी का अंत और पीछे छूटा डर

जीयाराम कई बार जेल गया और बाहर आकर फिर से अपराध करने लगा लेकिन साल 2016 में फेफड़ों की गंभीर बीमारी के कारण इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जीयाराम भले ही मर गया हो लेकिन उसका खौफ आज भी सीमावर्ती गांवों की कहानियों में जिंदा है। यह मामला एक सबक है कि कैसे अपराधियों ने समाज की पुरानी परंपराओं (जैसे घूंघट और बिजली की कमी) का फायदा उठाकर मानवता को शर्मसार किया।

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