Edited By Tanuja,Updated: 10 Sep, 2025 05:49 PM

मध्य पूर्व की राजनीति में एक नया भूचाल आ गया है। इज़राइल ने क़तर की राजधानी **दोहा** पर एयरस्ट्राइक कर हमास नेतृत्व को निशाना बनाया, जिसके चलते छह लोगों की मौत
Washington: मध्य पूर्व की राजनीति में एक नया भूचाल आ गया है। इज़राइल ने क़तर की राजधानी दोहा पर एयरस्ट्राइक कर हमास नेतृत्व को निशाना बनाया, जिसके चलते छह लोगों की मौत हो गई। यह हमला उस समय हुआ है, जब कुछ ही महीने पहले क़तर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को $1.2 ट्रिलियन निवेश सौदे और Boeing 747-8 विमान की सौगात दी थी। अब इस घटना से क़तर-अमेरिका संबंधों पर सवाल उठ रहे हैं और पूरी दुनिया की नज़र वॉशिंगटन की नीति पर टिकी है।
क़तर-अमेरिका रिश्ता और सौदे
मई 2025 में क़तर ने व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ समझौते किए थे, जिनकी कुल वैल्यू $1.2 ट्रिलियन बताई गई। इसमें अमेरिकी कंपनियों के लिए बड़े रक्षा और विमानन सौदे शामिल थे। इसी दौरान खबर आई थी कि क़तर ने ट्रंप को $400 मिलियन का Boeing 747-8 भेंट किया, जिसे ‘Air Force One’ के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। क़तर ने इस विमान को “दोस्ती और सहयोग का प्रतीक” बताया, हालांकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इसे “राजनीतिक उपहार” कहकर विवाद खड़ा किया गया।
इज़राइली हमला और दोहा का झटका
9 सितंबर की रात इज़राइली फाइटर जेट्स ने दोहा में हमास नेताओं को निशाना बनाया। इस हमले में 6 लोगों की मौत हुई, जिनमें एक क़तर सुरक्षा अधिकारी भी शामिल था। यह पहली बार था जब सीधे क़तर की राजधानी पर हमला हुआ। घटना के बाद राजधानी में अफरातफरी और खाड़ी देशों में गुस्सा फैल गया।
ट्रंप की प्रतिक्रिया
व्हाइट हाउस ने बताया कि ट्रंप ने इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से इस कार्रवाई पर असहमति जताई। ट्रंप ने कहा “यह हमला अमेरिका और इज़राइल के हितों को आगे नहीं बढ़ाता। यह मेरा नहीं, नेतन्याहू का फैसला था।”* ट्रंप ने स्वीकार किया कि उन्होंने क़तर को चेतावनी भेजने के निर्देश दिए थे, लेकिन संदेश देर से पहुँचा। उनकी प्रवक्ता करोलाइन लीविट ने कहा “क़तर अमेरिका का महत्वपूर्ण सहयोगी है और यह हमला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”
क़तर, जो अब तक शांति वार्ताओं और मानवीय सहायता का बड़ा केंद्र रहा है, सीधे युद्ध की लपटों में घिर गया है। ट्रंप के लिए यह स्थिति बेहद पेचीदा है।एक तरफ़ उनके सामने क़तर के बड़े निवेश और व्यक्तिगत “गिफ्ट”हैं, तो दूसरी तरफ़ इज़राइल जैसे पारंपरिक सहयोगी की आक्रामक सैन्य रणनीति। आने वाले हफ्तों में यह मामला अमेरिकी विदेश नीति और खाड़ी क्षेत्र की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन सकता है।