जापान की नई PM का फरमान, ‘घोड़े की तरह काम करो’ ! 18 घंटे ड्यूटी और रात 3 बजे मीटिंग पर मचा बवाल

Edited By Updated: 15 Nov, 2025 02:28 PM

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जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची 18 घंटे काम करती हैं और वर्क-लाइफ बैलेंस को नकारती हैं। उन्होंने सुबह 3 बजे मीटिंग बुलाई, जिससे विवाद हुआ। आलोचकों को डर है कि उनका रवैया पुराने ‘ओवरवर्क कल्चर’ को फिर बढ़ावा देगा, जिसे पहले ‘करोशी’ यानी काम से...

International Desk: जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची पहले दिन से ही अपने कठोर कार्यशैली को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने हाल ही में सुबह 3 बजे मीटिंग बुलाई, जिसके बाद फिर से जापान के ओवरवर्क कल्चर पर बहस तेज हो गई है। ताकाइची का कहना है, “मैं 18 घंटे काम करती हूं, और चाहती हूं लोग भी ऐसे ही काम करें। वर्क-लाइफ बैलेंस कोई मायने नहीं रखता।” उन्होंने यहां तक कहा कि लोग "घोड़े की तरह काम करें"।

 

वर्क कल्चर को लेकर उठे सवाल
जापान में लंबे समय से “करोशी” यानी काम के बोझ से मौत का कल्चर रहा है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान ने अपनी अर्थव्यवस्था खड़ी करने के लिए कर्मचारियों से ज्यादा काम की उम्मीद की थी। इस दौरान कई लोग दिल के दौरे और स्ट्रोक से अचानक मरने लगे। इन मौतों को "करोशी" कहा गया। सरकार को बाद में मजबूर होकर ओवरटाइम सीमा तय करनी पड़ी थी, महज 45 घंटे प्रति माह। हालांकि ताकाइची ने ओवरटाइम सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है, जिसकी वजह से चिंता बढ़ गई है कि पुराना अत्यधिक काम वाला कल्चर फिर लौट सकता है।

 

रात 3 बजे मीटिंग पर विवाद 
7 नवंबर को संसद में बजट पर चर्चा के लिए ताकाइची ने सुबह 3 बजे अपने सलाहकारों की मीटिंग बुलाई। इसे जापानी मीडिया ने ‘3AM स्टडी सेशन’ का नाम दिया।पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता योशिहिको नोदा ने इस फैसले को “पागलपन” बताया। उनका कहना था, “जब मैं प्रधानमंत्री था, तब सुबह 6 या 7 बजे काम शुरू करता था। दूसरों को रात के सन्नाटे में शामिल होने के लिए मजबूर करना गलत है।” विवाद बढ़ने पर ताकाइची ने सफाई देते हुए कहा कि उनके घर की फैक्स मशीन खराब थी, इसलिए उन्हें प्रधानमंत्री आवास जाकर तैयारी करनी पड़ी।


ओवरवर्क कल्चर की काली सच्चाई
जापान में काम का दबाव इतना अधिक है कि लोग भीड़भाड़ वाली ट्रेनों में खड़े-खड़े या फुटपाथों पर सो जाते हैं। इतिहास में 1969 का एक भीषण उदाहरण है एक 29 वर्षीय कर्मचारी की ब्रेन स्ट्रोक से मौत हो गई थी, जिसने 100 से अधिक घंटे काम किया था। ताकाइची के बयान और कार्यशैली से विशेषज्ञ चिंतित हैं कि जापान में फिर से वह दौर लौट सकता है जब लोग मानसिक और शारीरिक थकान से मौत के मुहाने पर पहुंच जाएं। ताकाइची पर आरोप है कि वह कर्मचारियों पर अनुचित दबाव डाल रही हैं और अपनी कार्यशैली को “आदर्श” बताकर गलत मिसाल पेश कर रही हैं।

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