Edited By Mehak,Updated: 11 Dec, 2025 12:03 PM

म्यांमार में जारी गृहयुद्ध लगातार भयानक होता जा रहा है। राखाइन प्रांत के एक अस्पताल पर 10 दिसंबर की रात हुई एयर-स्ट्राइक में 30 लोगों की मौत और करीब 70 लोग घायल हुए। माना जा रहा है कि वहां विद्रोही अराकन आर्मी के सदस्य मौजूद थे। 2021 के तख्तापलट के...
नेशनल डेस्क : म्यांमार इन दिनों गंभीर गृहयुद्ध की आग में झुलस रहा है। 10 दिसंबर की रात राखाइन प्रांत के एक अस्पताल पर एयर-स्ट्राइक हुआ, जिसमें कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और लगभग 70 लोग घायल हुए। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इस अस्पताल में विद्रोही समूह अराकन आर्मी के लड़के इलाज करा रहे थे या छिपे हुए थे। हालांकि, म्यांमार की सेना और सरकार की तरफ से इस हमले को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
2021 का तख्तापलट और गृहयुद्ध की शुरुआत
म्यांमार में वर्तमान संघर्ष की जड़ें 1 फरवरी 2021 तक जाती हैं। उस दिन म्यांमार की सेना (तत्मादाव) ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंका। आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) ने 2020 के चुनावों में भारी बहुमत हासिल किया था। सेना ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए सत्ता हथिया ली।
इस तख्तापलट के बाद देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन सेना ने इन्हें हिंसक रूप से दबा दिया। विरोध के बाद नए सशस्त्र समूहों का गठन हुआ। इनमें प्रमुख है People's Defense Force (PDF), जो National Unity Government (NUG) का सशस्त्र विंग है। इसके अलावा, देश के कई जातीय सशस्त्र संगठन भी लंबे समय से स्वशासन और अधिकारों की मांग करते रहे हैं, जैसे Karen National Union (KNU) और Kachin Independence Organization (KIO)।
विद्रोहियों का आधे म्यांमार पर कब्जा
विद्रोही समूहों ने 2024 तक देश के लगभग 40-50% इलाकों पर नियंत्रण कर लिया था। खासकर सीमावर्ती क्षेत्र जैसे शान स्टेट और राखाइन स्टेट में उनका दबदबा मजबूत था। लेकिन 2025 में सेना ने बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई (Counteroffensive) शुरू कर दी। उदाहरण के तौर पर, अक्टूबर 2025 में सेना ने Ta'ang National Liberation Army (TNLA) से Kyokame शहर वापस छीन लिया। हालांकि, बड़े शहर जैसे यांगून और Naypyidaw पर सेना का नियंत्रण अभी भी कायम है। इस पूरे संघर्ष में चीन ने भी सक्रिय भूमिका निभाई। उसने म्यांमार सेना को सैन्य सहायता दी और दबाव बनाया ताकि अपने पाइपलाइन और दुर्लभ मिट्टी के खनन परियोजनाओं को सुरक्षित रखा जा सके। इससे विद्रोहियों की रणनीति प्रभावित हुई।
आम नागरिकों पर सेना के हमले
गृहयुद्ध के दौरान म्यांमार सेना ने कई बार सामान्य नागरिकों और नागरिक स्थलों को निशाना बनाया।
- सितंबर 2025: राखाइन स्टेट के एक स्कूल पर हमला, जिसमें 22 छात्र मारे गए। UNICEF ने इसकी निंदा की।
- अक्टूबर 2025: चाउंग-यू टाउनशिप में बौद्ध उत्सव पर हमला, जिसमें 32-40 लोग मारे गए, कई बच्चे भी शामिल थे।
- इसके अलावा कई अस्पतालों और गांवों पर हमले हुए, जैसे 23 अक्टूबर 2024 को हुए हमले में 80 नागरिक मारे गए।
- कई क्षेत्रीय संघर्ष ऐसे हैं जहां हाई-इंटेंसिटी कॉम्बैट जारी है, जैसे कायाह स्टेट।
म्यांमार की खनिज संपदा और वैश्विक महत्व
म्यांमार सिर्फ गृहयुद्ध के लिए ही चर्चा में नहीं है, बल्कि इसकी खनिज संपदा के कारण भी दुनिया की बड़ी शक्तियां यहां अपना असर दिखा रही हैं।
- म्यांमार की उत्तरी सीमा पर दुनिया के तीसरे सबसे बड़े रेयर अर्थ डिपॉजिट्स हैं।
- इनमें डिस्प्रोसियम भी शामिल है, जो एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक व्हीकल और प्रिसिजन-गाइडेड हथियारों के लिए जरूरी है।
इस संपदा पर नियंत्रण रखने वाला देश लंबे समय तक वैश्विक टेक्नोलॉजी और हथियार उत्पादन में वर्चस्व बनाए रख सकता है। यही वजह है कि कई विदेशी देश म्यांमार के गृहयुद्ध में अपनी रणनीति और सैन्य सहायता के जरिए शामिल हैं।