Edited By Parveen Kumar,Updated: 29 Sep, 2025 07:00 PM

पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के मुज़फ़्फ़राबाद में सोमवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों ने हालात को और विस्फोटक बना दिया। पाकिस्तान सरकार के ख़िलाफ़ अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) की अगुवाई में चल रहे विरोध मार्च के दौरान झड़पों में दो लोगों की मौत हो गई और 22...
इंटरनेशनल डेस्क: पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के मुजफ्फराबाद में सोमवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों ने हालात को और विस्फोटक बना दिया। पाकिस्तान सरकार के ख़िलाफ़ अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) की अगुवाई में चल रहे विरोध मार्च के दौरान झड़पों में दो लोगों की मौत हो गई और 22 घायल हो गए। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना और आईएसआई समर्थित मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के हथियारबंद गुंडों ने बुनियादी अधिकारों की माँग कर रहे नागरिकों पर गोलियाँ चलाईं।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में सड़कें अराजकता में डूबी दिख रही हैं। एक वीडियो में प्रदर्शनकारियों से घिरी कारों पर लोग चढ़े नज़र आए, वहीं कुछ ने हवा में गोलियाँ चलाईं। दूसरे वीडियो में एक प्रदर्शनकारी ने चली हुई गोलियों की मुट्ठीभर खाली खोल कैमरे के सामने दिखाए।
पिछले 24 घंटों से पीओके में बाज़ार, दुकानें और परिवहन सेवाएँ ठप हैं। प्रदर्शनकारियों ने 38 मांगों की सूची दी है, जिनमें कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित विधानसभा की 12 सीटों को ख़त्म करने की माँग भी शामिल है। स्थानीय नेताओं का कहना है कि इस प्रावधान से प्रतिनिधित्व की जड़ों को कमज़ोर किया जाता है। एएसी नेता शौकत नवाज़ मीर ने कहा, “हम 70 साल से वंचित हैं। या तो अधिकार दो या जनता के ग़ुस्से के लिए तैयार रहो।” उन्होंने चेतावनी दी कि मौजूदा आंदोलन उनका “प्लान ए” है और आगे इससे कहीं ज़्यादा कठोर योजनाएं तैयार हैं।
इस्लामाबाद ने जवाब में ताक़त का प्रदर्शन किया है। पाकिस्तानी समाचार वेबसाइट डॉन के अनुसार, भारी हथियारों से लैस गश्ती दलों ने फ्लैग मार्च किया और पंजाब से हज़ारों सैनिकों को पीओके में तैनात किया गया। इसके अलावा, राजधानी से 1,000 अतिरिक्त सैनिक भेजे गए हैं। हालात काबू में रखने के लिए इंटरनेट सेवाओं पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
यह बगावत ऐसे समय में हुई है जब पिछले हफ़्ते पाकिस्तानी वायुसेना ने ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के एक गाँव पर चीन निर्मित जे-17 लड़ाकू विमानों से एलएस-6 लेज़र-गाइडेड बम गिराए, जिसमें 30 नागरिक मारे गए। इस घटना ने स्थानीय समुदायों में आक्रोश और गहरा कर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकवादी संगठनों के नए ठिकाने बनने और सरकार की दमनकारी नीति ने हालात को विस्फोटक मोड़ पर पहुँचा दिया है।