Edited By Pardeep,Updated: 12 Dec, 2025 03:26 AM

इटली का दुनिया-भर में मशहूर लग्जरी फैशन ब्रांड प्राडा (Prada) एक बार फिर सुर्खियों में है। कुछ महीने पहले उस पर आरोप लगा था कि उसने भारत की पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पलों की डिजाइन को बिना क्रेडिट दिए अपने फैशन शो में पेश किया। अब कंपनी ने विवाद से सबक...
इंटरनेशनल डेस्कः इटली का दुनिया-भर में मशहूर लग्जरी फैशन ब्रांड प्राडा (Prada) एक बार फिर सुर्खियों में है। कुछ महीने पहले उस पर आरोप लगा था कि उसने भारत की पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पलों की डिजाइन को बिना क्रेडिट दिए अपने फैशन शो में पेश किया। अब कंपनी ने विवाद से सबक लेते हुए भारत के देसी कारीगरों के साथ मिलकर लिमिटेड-एडिशन मेड-इन-इंडिया सैंडल लॉन्च करने का फैसला किया है।
कैसे बनेगा नया कलेक्शन?
रिपोर्ट के मुताबिक, प्राडा भारत के महाराष्ट्र और कर्नाटक के कारीगरों से कुल 2,000 जोड़ी सैंडल बनवाएगा। हर जोड़ी की कीमत होगी 800 यूरो, यानी करीब 83,000 रुपये। कंपनी के सीनियर अधिकारी लोरेंजो बर्टेली ने कहा कि उनका उद्देश्य है कि भारतीय कारीगरी और इटैलियन तकनीक को मिलाकर एक अनोखा प्रोडक्ट दुनिया के सामने लाया जाए। यह सैंडल कलेक्शन फरवरी 2026 से दुनिया भर में 40 प्राडा स्टोर्स और ऑनलाइन उपलब्ध होगा।
विवाद क्या था?
करीब 6 महीने पहले प्राडा ने मिलान फैशन शो में ऐसे सैंडल पेश किए जो बिल्कुल कोल्हापुरी चप्पलों जैसे लग रहे थे। इंटरनेट पर तस्वीरें वायरल होते ही भारत में लोगों ने नाराजगी जताई। लोगों ने कहा कि प्राडा ने बिना क्रेडिट दिए भारतीय डिजाइन की कॉपी की है। बाद में प्राडा ने यह स्वीकार किया कि यह डिजाइन भारतीय पारंपरिक शैली से प्रेरित थी। अब इसी विवाद के बाद कंपनी ने भारत के दो सरकारी संस्थानों के साथ समझौता किया है:
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LIDCOM (Maharashtra)
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LIDKAR (Karnataka)
ये दोनों संस्थाएं खासकर वंचित समुदायों के कारीगरों को सहायता देती हैं, जो हाथ से पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पलें बनाते हैं।
इटली में होगी कारीगरों की ट्रेनिंग
प्राडा ने कहा है कि यह साझेदारी कम से कम 3 साल तक चलेगी। इसमें शामिल होगा- भारत के कारीगरों के लिए विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम, इटली की Prada Academy में शॉर्ट-टर्म ट्रेनिंग, प्रोजेक्ट में कई मिलियन यूरो निवेश और कारीगरों को उचित और बेहतर भुगतान। LIDCOM की मैनेजिंग डायरेक्टर प्रेरणा देशभ्रतार ने कहा कि जब प्राडा जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय ब्रांड किसी कला का समर्थन करते हैं, तो उसकी वैश्विक मांग और पहचान काफी बढ़ जाती है।