PoK में हालात बदतरः हिंसक प्रदर्शनों में 9 की मौत व सैंकड़ों घायल, टेंशन में पाक PM शहबाज

Edited By Updated: 02 Oct, 2025 06:14 PM

pak pm expresses  deep concern  over situation in pok

पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) में हिंसक प्रदर्शनों ने हालात बिगाड़ दिए हैं। अब तक 6 नागरिक और 3 पुलिसकर्मी मारे गए हैं, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। पीएम शहबाज़ शरीफ़ ने चिंता जताते हुए पुलिस को संयम बरतने और नागरिकों से शांति की...

Peshawar: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बृहस्पतिवार को "गहरी चिंता" व्यक्त की है। उन्होंने हिंसक विरोध प्रदर्शनों को समाप्त करने के वास्ते समाधान खोजने के लिए गठित वार्ता समिति का विस्तार किया है। जम्मू कश्मीर ज्वाइंट अवामी एक्शन कमेटी (JKJAAC ) और पीओके तथा संघीय सरकार के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा उठाए मुद्दों को हल करने में नाकाम रहने के बाद जेकेजेएएसी ने तीन दिन की हड़ताल की। इसके बाद शरीफ ने यह कदम उठाया। 'द न्यूज' की एक खबर के मुताबिक, PoK में जारी प्रदर्शनों के दौरान कम से कम छह नागरिकों और तीन पुलिस कर्मियों की मौत हुई है।

 

स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनों में लगभग 172 पुलिस कर्मी जख्मी हुए, जिनमें से 12 की हालत गंभीर बताई गई है। अखबार ने यह भी बताया कि हिंसक प्रदर्शनों के दौरान लगभग 50 नागरिक भी घायल हुए। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा गया कि शरीफ ने "विरोध प्रदर्शनों के दौरान दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर गहरी चिंता" व्यक्त करते हुए मामले की पारदर्शी जांच के आदेश दिए हैं। शरीफ ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को प्रदर्शनकारियों के साथ संयम के साथ बर्ताव करने का भी निर्देश दिया है। बयान में कहा गया, "प्रधानमंत्री ने नागरिकों से शांति बनाए रखने की पुरजोर अपील की है। उन्होंने गुजारिश की कि शांतिपूर्ण विरोध हर नागरिक का संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन प्रदर्शनकारियों को लोक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए।"

 

बयान में कहा गया है कि "इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए, सरकार के स्तर पर, प्रधानमंत्री ने वार्ता समिति का विस्तार करने का फैसला किया है।" विस्तारित समिति में अब सीनेटर राणा सनाउल्लाह, संघीय मंत्री सरदार यूसुफ, अहसान इकबाल, पीओके के पूर्व "राष्ट्रपति" मसूद खान और पूर्व मंत्री कमर जमां कैरा भी शामिल होंगे। पीओके के "प्रधानमंत्री" चौधरी अनवार-उल-हक और संघीय मंत्री तारिक फजल चौधरी के नेतृत्व वाली एक समिति पहले से ही प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत कर रही है। हक और चौधरी ने जेकेजेएएसी को नए सिरे से बातचीत के लिए बुधवार को आमंत्रित किया था।

 

JKJAAC ने मांगे पूरी नहीं होने के मुद्दे पर हड़ताल का आह्वान किया था, जिसके दौरान प्रतिद्वंद्वी समूहों ने भी एक साथ विरोध प्रदर्शन किए। बुधवार को मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, मुजफ्फराबाद में दुकानें, होटल और व्यावसायिक केंद्र बंद रहे, जबकि सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद रहा। खबरों में कहा गया कि स्कूल आधिकारिक तौर पर खुले थे, लेकिन छात्र घर पर ही रहे। जेकेजेएएसी ने 38-सूत्रीय मांगें जारी की थी, जिसमें शरणार्थियों के लिए 12 आरक्षित सीटों को समाप्त करने और "कुलीन वर्ग के विशेषाधिकारों" को वापस लेने की मांग शामिल थी। चौधरी ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा था कि "समिति की 90 प्रतिशत मांगें पहले ही स्वीकार कर ली गई हैं...।" 

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