जांच पैनल का दावा- कोरोना के लिए चीन-WHO जिम्मेदार, दोनों के झूठ कारण मिट गई लाखों जिंदगियां

Edited By Tanuja,Updated: 19 Jan, 2021 05:37 PM

pandemic response probe team says who china could have acted faster

कोरोना वायरस को लेकर शुरू से ही चीन व विश्व स्वास्थ्य संगठन की  भूमिका काफी संदिंगध रही है। चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस पूरी ...

बीजिंगः कोरोना वायरस को लेकर शुरू से ही चीन व विश्व स्वास्थ्य संगठन की  भूमिका काफी संदिंगध रही है। चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए काल बन गया। चीन से निकलकर पूरी दुनिया में जिस वायरस ने तबाही मचाई उसे लेकर  हैरान करने वाला सच सामने आया है । स्वतंत्र पैनल (इंडिपेंडेंट पैनल फॉर पैन्डेमिक प्रिपेयर्डनेस एंड रिस्पॉन्स) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)  की निष्क्रियता के कारण लाखों जिंदगियां खत्म हुई हैं।  रिपोर्ट में कहा  गया कि  चीन चाहता तो कोरोना वायरस को महामारी बनने से रोका जा सकता था, मगर उसने समय रहते काबू नहीं किया। 

 

विशेषज्ञों के  पैनल ने कोरोना वायरस महामारी को शुरुआत में रोकने के लिए त्वरित कदम नहीं उठाने को लेकर चीन और अन्य देशों की निंदा की तथा इसे वैश्विक महामारी घोषित करने में देरी को लेकर संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी पर भी सवाल उठाए। लाइबेरिया के पूर्व राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलीफ और न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क के नेतृत्व वाले पैनल ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि ‘‘जनस्वास्थ्य की सुरक्षा संबंधी बुनियादी कदम उठाने का मौका शुरुआत में ही गंवा दिया'' गया। पैनल ने कहा कि चीनी अधिकारी लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के तुरंत बाद जनवरी में ही ‘‘अधिक जोरदार तरीके'' से अपने प्रयासों को लागू कर सकते थे।

 

उसने कहा, ‘‘वास्तविकता यह है कि केवल कुछ ही देशों ने एक उभरती वैश्विक महामारी को रोकने के लिए उपलब्ध जानकारी का पूरा लाभ उठाया।'' पैनल ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि WHO ने इसे तुरंत वैश्विक जनस्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित क्यों नहीं किया। पैनल से कहा, ‘‘एक और सवाल यह है कि यदि WHO ने कोरोना वायरस को पहले वैश्विक महामारी घोषित किया होता, तो क्या इससे कोई मदद मिल सकती थी?'' हालांकि उसने कहा,‘‘कई देशों ने इस बीमारी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोकने के लिए न्यूनतम कदम उठाए'', लेकिन उसने किसी देश का नाम नहीं लिया।

 

उल्लेखनीय है कि WHO ने 22 जनवरी को अपनी आपात बैठक बुलाई थी, लेकिन उसने कोरोना वायरस को 11 मार्च को वैश्विक महामारी घोषित किया गया। कोविड-19 महामारी से निपटने को लेकर WHO को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने WHO पर इस संक्रमण को फैलने की बात छुपाने के लिए चीन के साथ मिलकर ‘‘गठजोड़'' करने का आरोप लगाया था और संगठन को दी जाने वाली अमेरिकी मदद रोक दी थी।  वैश्विक महामारी की जांच करने वाले इस स्वतंत्र समूह ने निष्कर्ष निकाला है कि जब चीन में कोरोना का पहला मामला सामने आया था, तब विश्व स्वास्थ्य संगठन और बीजिंग तेजी से काम कर सकते थे। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया और उन दोनों की लापरवाही की वजह से दुनियाभर में कोरोना फैला। विशेषज्ञों के इस पैनल में न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क और पूर्व लाइबेरियाई राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलेफ़ भी शामिल हैं। मई में इसकी आखिरी और फाइनल रिपोर्ट आएगी।

 

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