Edited By Tanuja,Updated: 27 Sep, 2025 07:20 PM

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने हाल ही में रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बताया कि इस समझौते से रिश्ते पहले “लेन-देन आधारित” थे, अब वे “औपचारिक” हो गए हैं। समझौते में किसी भी हमले को दोनों देशों के खिलाफ हमला...
Islamabad: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि सऊदी अरब के साथ हाल ही में हस्ताक्षरित रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते ने दोनों देशों के बीच संबंधों को पहले “थोड़ा लेन-देन आधारित” से अब “औपचारिक” रूप दिया है। पाकिस्तान और सऊदी अरब ने पिछले सप्ताह रियाद में “रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते” पर हस्ताक्षर किए, जिसमें यह संकल्प जताया गया कि किसी भी देश पर हमले को “दोनों के विरुद्ध हमले का कृत्य” माना जाएगा। इससे पहले, आसिफ ने सुझाव दिया था कि नए ढांचे के तहत पाकिस्तान की परमाणु क्षमताएं रियाद को उपलब्ध कराई जा सकती हैं। हालांकि, बाद में एक साक्षात्कार में, मंत्री ने इस बात से इनकार किया कि परमाणु हथियार समझौते का हिस्सा थे, और कहा कि वे एजेंडा में बिल्कुल नहीं थे।
‘डॉन' अखबार की खबर के अनुसार, ‘जेटियो' के साथ एक साक्षात्कार के दौरान पत्रकार मेहदी हसन के एक सवाल के जवाब में आसिफ ने कहा, “यह कतर में जो हुआ उसकी प्रतिक्रिया नहीं है, क्योंकि इस पर काफी समय से बातचीत चल रही थी। इसलिए, यह कोई प्रतिक्रिया नहीं है; शायद इसमें थोड़ी तेजी आई होगी, लेकिन बस इतना ही। यह पहले से ही तय था।” हसन ने आसिफ से पूछा था कि क्या यह समझौता कतर पर इजराइली बमबारी की प्रतिक्रिया है? हसन ने कहा कि मुस्लिम जगत में पाकिस्तान एकमात्र परमाणु शक्ति है, और सऊदी अरब ने दूसरी परमाणु शक्ति बनने में रुचि दिखाई है। उन्होंने यह भी बताया कि आसिफ ने पहले कहा था कि इस समझौते में परमाणु हथियारों पर “विचार नहीं किया जा रहा है”।
उन्होंने पूछा, “क्या इस समझौते के अनुसार सऊदी अरब को पाकिस्तान की परमाणु छतरी से सुरक्षा प्राप्त है या नहीं?” आसिफ ने कहा, “सऊदी अरब के साथ हमारे रक्षा संबंध पांच-छह दशकों से चले आ रहे हैं। वहां हमारी सैन्य उपस्थिति थी, चरम पर तो शायद चार-पांच हजार से भी ज्यादा, और आज भी वहां हमारी सैन्य उपस्थिति है। मुझे लगता है कि हमने उस रिश्ते को औपचारिक रूप दे दिया है, जो पहले कुछ हद तक लेन-देन आधारित था।” हसन ने पूछा, “परमाणु हथियारों के साथ या बिना परमाणु हथियारों के औपचारिक रूप दिया गया?” मंत्री ने हालांकि विस्तार से इस बारे में बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं विस्तार से बताने से परहेज करूंगा, लेकिन यह एक रक्षा समझौता है और रक्षा समझौतों पर आमतौर पर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं की जाती।”