ट्रंप ने H1-B वीजा पर बढ़ाया आवेदन शुल्क, अब देने होंगे 1 लाख अमेरिकी डॉलर; भारतीय कर्मचारियों पर पड़ेगा असर

Edited By Updated: 20 Sep, 2025 05:41 AM

trump hikes h1 b visa application fee now requires 100 000

व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जल्द ही H-1B वर्क वीजा पर 1 लाख डॉलर (100,000 डॉलर) का नया आवेदन शुल्क लागू करने वाले हैं।

इंटरनेशनल डेस्कः व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जल्द ही H-1B वर्क वीजा पर 1 लाख डॉलर (100,000 डॉलर) का नया आवेदन शुल्क लागू करने वाले हैं। यह कदम अमेरिका में विदेशी विशेषज्ञों पर निर्भर तकनीकी कंपनियों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, खासकर भारत और चीन जैसे देशों से आने वाले वर्कर्स के लिए।

ट्रंप प्रशासन पहले भी सख्त इमीग्रेशन नियम लागू कर चुका है और यह नया शुल्क इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। टेक्नोलॉजी कंपनियां इस बढ़े हुए शुल्क को लेकर चिंतित हैं क्योंकि इससे उनकी भर्ती योजनाओं पर असर पड़ेगा।

नए नियम क्या होंगे?

टेक कंपनियों की विदेशी विशेषज्ञों पर निर्भरता

अमेरिका की बड़ी तकनीकी कंपनियां जैसे Amazon, Microsoft और Meta H-1B वीजा पर अपने कर्मचारी भर्ती करती हैं। सिर्फ 2025 के पहले छह महीनों में Amazon ने 10,000 से ज्यादा H-1B वीजा मंजूर करवाए हैं। Microsoft और Meta ने भी 5,000 से अधिक वीजा प्राप्त किए। करीब दो-तिहाई H-1B वीजा धारकों की नौकरी कंप्यूटिंग और टेक्नोलॉजी से जुड़ी होती है, लेकिन इंजीनियर, शिक्षक और स्वास्थ्यकर्मी भी इस वीजा पर काम करते हैं।

अब तक की फीस और नया शुल्क

  • वर्तमान में H-1B आवेदन शुल्क लगभग 215 डॉलर से शुरू होता है, जो कुछ मामलों में हजारों डॉलर तक जा सकता है।

  • ट्रंप प्रशासन का प्रस्तावित नया शुल्क 100,000 डॉलर है, जो मौजूदा फीस की तुलना में बहुत बड़ा बढ़ोतरी होगी। इससे छोटे और मध्यम दर्जे के नियोक्ताओं के लिए आवेदन करना मुश्किल हो जाएगा।

भारत और चीन के आवेदकों पर असर

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, H-1B वीजा धारकों में से लगभग 71% भारतीय हैं, जबकि चीन के आवेदकों का हिस्सा लगभग 11.7% है। ये वीजा आमतौर पर तीन से छह साल की अवधि के लिए जारी किए जाते हैं।

विरोध और बहस

H-1B वीजा कार्यक्रम के विरोधी, खासकर अमेरिकी टेक कर्मचारियों में, दावा करते हैं कि कंपनियां विदेशी वीजा धारकों को काम पर रखकर अमेरिकी मजदूरों के वेतन को कम रखती हैं और उनकी नौकरी के अवसरों को घटाती हैं। दूसरी ओर, कई उद्योग विशेषज्ञ कहते हैं कि विदेशी तकनीकी प्रतिभा के बिना अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र की प्रगति और प्रतिस्पर्धात्मकता खतरे में पड़ सकती है। इस मुद्दे पर अमेरिकी टेक सेक्टर और श्रम बाजार में मतभेद बने हुए हैं।

अतिरिक्त जानकारी:

इस नई नीति के साथ ट्रंप प्रशासन ने कामगार वीजा, शरणार्थी आवेदन और अन्य इमीग्रेशन संबंधित फीस में भी वृद्धि की योजना बनाई है। इन बढ़े हुए शुल्कों से होने वाली आमदनी का उपयोग अमेरिका के नए डिटेंशन सेंटर बनाने, हजारों नए इमीग्रेशन एजेंटों की भर्ती और सीमा दीवार के निर्माण के लिए किया जाएगा।

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