Edited By Tanuja,Updated: 31 Dec, 2025 02:54 PM

यमन में सऊदी अरब और यूएई के बीच तनाव खुलकर सामने आ गया है। मुकल्ला बंदरगाह पर सऊदी बमबारी, एसटीसी को हथियार देने के आरोप और 24 घंटे में यमन खाली करने के अल्टीमेटम ने खाड़ी क्षेत्र में नए सैन्य-कूटनीतिक संकट का खतरा बढ़ा दिया है।
International Desk: मिडिल ईस्ट में हालात तेजी से तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन ने यमन के बंदरगाह शहर मुकल्ला पर भारी हवाई हमला किया है। चौंकाने वाली बात यह रही कि इस कार्रवाई का निशाना ईरान समर्थित हूती विद्रोही नहीं, बल्कि कथित तौर पर UAE से जुड़ी हथियारों की खेप थी। सऊदी अरब का आरोप है कि UAE के फुजैराह बंदरगाह से आए दो जहाज बिना अनुमति मुकल्ला पहुंचे, जिन्होंने अपना ट्रैकिंग सिस्टम बंद कर रखा था। रियाद के अनुसार, इन जहाजों के जरिए साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) के अलगाववादियों के लिए हथियार और बख्तरबंद वाहन उतारे जा रहे थे। सऊदी वायुसेना ने पहले नागरिकों को इलाका खाली करने की चेतावनी दी और फिर हथियारों के जखीरे को नष्ट कर दिया।
🇸🇦‼️ Saudi Arabia issues a 24-hour ultimatum to the UAE: “Pull your troops out of Yemen”
In response, Yemen cancels its previous military partnership with the UAE.
The UAE is being expelled from Yemen, delivering a heavy blow to the Israel-UAE axis.
Next up: Sudan. It seems… pic.twitter.com/LOt9Nptr2n
— WAR (@warsurveillance) December 30, 2025
हमले के तुरंत बाद, सऊदी समर्थित यमन की राष्ट्रपति परिषद (PLC) ने यूएई के साथ सुरक्षा समझौता रद्द कर दिया और अमीराती सेना को 24 घंटे के भीतर यमन छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया। सऊदी अरब के लिए यह “रेड लाइन” इसलिए भी अहम है क्योंकि एसटीसी हाल के हफ्तों में तेल-समृद्ध हदरमौत और महरा प्रांतों पर कब्जा कर चुका है, जो सऊदी अरब और ओमान की सीमाओं से सटे हैं। रियाद इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा मानता है। दूसरी ओर, UAE ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि जहाजों में हथियार नहीं, बल्कि आतंकवाद-रोधी टुकड़ियों के लिए वाहन थे। अबू धाबी ने सऊदी संप्रभुता के सम्मान की बात दोहराई और तनाव कम करने के संकेत देते हुए यमन से अपनी बची हुई सेना वापस बुलाने की घोषणा की है।
क्षेत्रीय विशेषज्ञों के अनुसार, यह टकराव सिर्फ यमन तक सीमित नहीं है। UAE-इजरायल संबंधों (अब्राहम समझौता) और लाल सागर-बाब अल-मंडेब जैसे रणनीतिक समुद्री मार्गों पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने हालात को और जटिल बना दिया है। सऊदी अरब एकीकृत यमन चाहता है, जबकि यूएई पर दक्षिण यमन समर्थक गुटों का झुकाव रखने के आरोप लगते रहे हैं।तनाव की खबर के बाद खाड़ी देशों के शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई है। निवेशकों को आशंका है कि यदि दो बड़े तेल उत्पादक और सहयोगी देश आमने-सामने आते हैं, तो इसका असर वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ सकता है।