अगहन मास में जानें, शंख की पूजा का खास तरीका जिससे बरसने लगेगा धन

Edited By ,Updated: 27 Nov, 2015 12:44 PM

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अगहन मास में शंख पूजन की बहुत महत्ता है। इस माह में किसी भी शंख को भगवान कृष्ण का पंचजन्य शंख मानकर उसका पूजन करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

अगहन मास में शंख पूजन की बहुत महत्ता है। इस माह में किसी भी शंख को भगवान कृष्ण का पंचजन्य शंख मानकर उसका पूजन करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। यहां तक की साधारण शंख का पूजन भी पंचजन्य शंख के पूजन के समान फल देता है। प्रतिदिन शंख पूजन करने से घर में कभी धन की कमी नहीं रहती।

विष्णु पुराण के अनुसार समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में से शंख भी एक है। माता लक्ष्मी समुद्रराज की पुत्री हैं तथा शंख उनका सहोदर भाई है। 
 
पूजन सामग्री : शुद्ध घी का दीपक, अगरबत्ती, कुमकुम, केसर, चावल, जल का पात्र, पुष्प, कच्चा दूध, चांदी का वर्क, इत्र, कपूर तथा नैवेद्य अर्थात् प्रसाद की व्यवस्था पूर्व में करके रख लें।
 
पूजन विधि : शुभ मुहूर्त में प्रात: स्नान कर वस्त्र धारण करें। एक पात्र में सामने शंख रख लें। उसे दूध तथा जल से स्नान कराएं। साफ कपड़े से उसे पोंछ कर उस पर चांदी का वर्क लगाएं। घी का दीपक जलाकर अगरबत्ती जला लें। दूध तथा केसर मिश्रित घोल से शंख पर श्री एकाक्षरी मंत्र लिख कर उसे ताम्बे अथवा चांदी के पात्र में स्थापित कर दें। अब निम्र मंत्र का जप करते हुए उस पर कुमकुम, चावल तथा इत्र अर्पित करें। श्वेत पुष्प शंख पर चढ़ाकर प्रसाद भोग के रूप में अर्पित करें।
 
अगहन मास में शंखपूजन करते समय इस मंत्र का जाप करें-
 
पंचजन्य पूजा मंत्र
त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे।
निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते।
तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:।
शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते॥
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