मिथुन राशि को अभीष्ट प्रदान करती है यह साधना और मंत्र

Edited By Updated: 05 Jun, 2016 12:41 PM

gemini mantra

20 मई से 20 जून के बीच जन्म लेने वाले जातक को मिथुन राशि वाला माना जाता है। का, की, कू, घ, ड़, छ, को तथा हा अक्षरों से शुरू होने वाले नाम मिथुन

20 मई से 20 जून के बीच जन्म लेने वाले जातक को मिथुन राशि वाला माना जाता है। का, की, कू, घ, ड़, छ, को तथा हा अक्षरों से शुरू होने वाले नाम मिथुन राशि के अंतर्गत ही आते हैं।

 

दस-दस अंश का एक भाग बनाकर अगर 20 मई से 20 जून को बांटा जाए तो 20 मई से 29 मई के मध्य जन्म लेने वाले जातक का नाम का, की, कू, वर्णों से ही शुरू होना चाहिए। इसी प्रकार 30 मई से 8 जून के मध्य जन्म लेने वाले जातक का नाम घ, ड़, छ वर्णों से तथा 9 जून से 20 जून के मध्य जन्म लेने वाले जातक का नाम के, को तथा हा वर्णों से ही प्रारंभ होना चाहिए।

 

20 मई से 29 मई के मध्य जन्म लेने वाले जातक जिनका नाम का, की, कू वर्णों से शुरू होता है, को श्री कृष्ण की आराधना करनी चाहिए। इन जातकों का इष्ट श्री कृष्ण को माना जाता है। मिथुन राशि के इस चरण से जुड़े जातकों को ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप अतिशय फलदायी होता है।

 

बुध ग्रह से संबंधित जाप, स्टोन धारण, जड़ी धारण आदि अवश्य ही करते रहना चाहिए। ‘ॐ बुं बुधाय नम:’ का जाप जीवन को सुखमय बनाता है। पिंजरे में कैद तोते को आजाद करना, दूब के डंठल को शिखा में बांधना पुण्यकारी माना जाता है। प्रात: काल उठते ही सफेद गाय के दर्शन करना इन जातकों के लिए भाग्योदय कारक होता है। राधा सहस्त्रनाम, श्री कृष्ण स्रोत, श्री कृष्ण चालीसा आदि का पाठ करते रहना हितकर माना जाता है।

 

30 मई से 8 जून के मध्य जन्म लेने वाले वैसे जातक जिनका नाम घ, ड़ तथा छ वर्णों से प्रारंभ होता है। उन्हें अपने चरित्र का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। इन वर्णों से शुरू अगर स्त्री जातक का नाम होता है तो उन्हें अपने कमर में काले धागे में बांस की जड़ को बांधकर यंत्र में डालकर धारण करना चाहिए।

 

इन वर्णों से प्रारंभ पुरुष जातक को दक्षिणावर्ती शंख के जल को नियमित रूप से अपने ऊपर सिक्त करते रहना चाहिए। उपरोक्त स्रोत, चालीसा, कवच आदि का पाठ नियमित रूप से करते रहना चाहिए। 

 

9 जून से 20 जून के मध्य अर्थात मिथुन राशि के तृतीय चरण में जन्म लेने वाले जातक जिनका नाम के, को तथा हा वर्णों से प्रारंभ होता है, को माता दुर्गा की उपासना करनी चाहिए। ‘ॐ ऐं ह्वीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करना लाभदायक होता है। माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी तथा सिद्धिदात्री देवी की पूजा-अर्चना यथा साध्य करते रहनी चाहिए।

 

दुर्गा सप्तशती दुर्गास्रोत, दुर्गास्तवन, दुर्गासहस्त्र नाम आदि का पाठ करते रहना लाभदायक होता है। मिथुन राशि के जातकों को प्रत्येक पूर्णिमा तिथि को गंगा-यमुना आदि पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। इससे शारीरिक भाग्योदय होता है।

 

—आनंद कुमार अनंत

 

 

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