13 साल का बच्चा विमान के पहिए पर बैठकर दिल्ली पहुंचा, काबुल से भरी थी उड़ान... जिंदा देखकर डॉक्टरों के उड़े होश

Edited By Updated: 22 Sep, 2025 05:19 PM

13 years old child from afghanistan child sit on plane s wheel delhi airport

दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उस समय हड़कंप मच गया जब अधिकारियों ने टर्मिनल 3 के एक प्रतिबंधित क्षेत्र में एक किशोर को घूमते हुए पाया। पूछताछ करने पर जो कहानी सामने आई, उसने सबको चौंका दिया - ये बच्चा अफगानिस्तान से विमान के...

नेशनल डेस्क: दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उस समय हड़कंप मच गया जब अधिकारियों ने टर्मिनल 3 के एक प्रतिबंधित क्षेत्र में एक किशोर को घूमते हुए पाया। पूछताछ करने पर जो कहानी सामने आई, उसने सबको चौंका दिया - ये बच्चा अफगानिस्तान से विमान के व्हील वेल (जहां विमान का पहिया होता है) में छिपकर भारत पहुंच गया था।

13 साल का लड़का, 30,000 फीट की ऊंचाई पर 94 मिनट तक ज़िंदा!
जानकारी के मुताबिक, 13 वर्षीय यह अफगानी लड़का मूल रूप से ईरान भागना चाहता था लेकिन गलत विमान में चढ़ गया और सीधा दिल्ली पहुंच गया। वह KAM Air की फ्लाइट RQ4401 में काबुल से दिल्ली आया, जो करीब 94 मिनट की उड़ान थी।

हैरानी की बात ये है कि वह पूरे सफर के दौरान विमान के पिछले पहिए के ऊपरी हिस्से में बैठा रहा — एक ऐसी जगह जहां ऑक्सीजन की भारी कमी होती है और तापमान माइनस 40 से माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।

काबुल एयरपोर्ट पर ऐसे घुसा विमान में
लड़के ने बताया कि उसने काबुल एयरपोर्ट पर यात्रियों के पीछे-पीछे वाहन के ज़रिए प्रवेश किया और फिर रनवे पर विमान के पास पहुंचकर व्हील वेल में छिप गया। चूंकि वह नाबालिग है, इसलिए उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन इस घटना ने काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

विशेषज्ञों की राय:  जिंदा बचना किसी चमत्कार से कम नहीं 
कैप्टन मोहन रंगनाथन, एक एविएशन विशेषज्ञ का मानना है कि इस तरह की यात्रा लगभग असंभव होती है। उन्होंने बताया कि टेक-ऑफ के बाद पहिया अंदर खिसक जाता है और दरवाजा बंद हो जाता है, जिससे व्हील वेल में एक सीमित दबाव और तापमान बन सकता है। फिर भी, इस ऊंचाई पर ज़िंदा रहना बेहद मुश्किल होता है।

 डॉक्टर का भी कहना है कि 10,000 फीट से ऊपर ऑक्सीजन का स्तर इतना कम हो जाता है कि व्यक्ति कुछ ही मिनटों में बेहोश हो सकता है। यदि तापमान माइनस 50 डिग्री सेल्सियस हो, तो शरीर को गंभीर शीतदंश और हाइपोथर्मिया हो सकता है। ऐसे मामलों में जीवित रहने की संभावना सिर्फ 20% होती है।

पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
भारत में इस तरह की यह दूसरी घटना है। 1996 में, दिल्ली के दो युवक, प्रदीप और विजय सैनी, ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट के व्हील वेल में छिपकर लंदन पहुंचे थे। उस हादसे में विजय की मौत हो गई थी जबकि प्रदीप किसी तरह बच गया था।

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