मुंह के कैंसर से पीड़त मरीज को 3डी प्रिंटिग तकनीक से बने टाइटेनियम के जबड़े ने दिया जीवनदान

Edited By Updated: 19 Feb, 2020 05:29 PM

3d printing delhi dr malhotra prabhjot

मुंह के कैंसर से पीड़ित एक युवक को 3डी प्रिंटिग तकनीक से बने टाइटेनियम के जबड़े की वैकल्पिक हड्डी ने जीवनदान दिया है। दिल्ली में बसंतकुंज स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल के डा. मंदीप सिंह मल्होत्रा ने एक साल की मेहनत के बाद 30 वर्षीय प्रभजोत सिंह के जबड़े की...

नई दिल्ली: मुंह के कैंसर से पीड़ित एक युवक को 3डी प्रिंटिग तकनीक से बने टाइटेनियम के जबड़े की वैकल्पिक हड्डी ने जीवनदान दिया है। दिल्ली में बसंतकुंज स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल के डा. मंदीप सिंह मल्होत्रा ने एक साल की मेहनत के बाद 30 वर्षीय प्रभजोत सिंह के जबड़े की हड्डी (मेंडेबल) का सफल प्रत्यारोपण किया है। डा. मल्होत्रा ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि प्रभजोत सात साल बाद सामान्य तरीके से खानपान करने में सक्षम हुआ है। ओरल कैंसर विशेषज्ञ डा. मल्होत्रा का दावा है कि मुंह के कैंसर से पीड़ित किसी मरीज के जबड़े को 3डी प्रिंटिंग तकनीक से बदलने का यह देश में पहला मामला है। उन्होंने बताया कि यह 3डी प्रिंटिंग इंजीनियरिंग के साथ चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में सामंजस्य का भी अनूठा प्रयोग है जिसके तहत टाइटेनियम के मेंडबल का पूरी तरह से स्वदेशी आधार पर निर्माण किया गया है। 

इस सर्जरी पर कम से कम आता है डेढ लाख डॉलर खर्च
इस कवायद से जुड़े 3डी प्रिंटिंग तकनीक के विशेषज्ञ संजय पाठक ने बताया कि अभी तक देश में अंग प्रतिरोपण में वैकल्पिक हड्डी के लिए 3डी प्रिंटिंग तकनीक का इस्तेमाल हो रहा था, लेकिन ओरल कैंसर पीड़ित मरीज के जबड़े में मेंडेबल के लिए टाइटेनियम की वैकल्पिक हड्डी के सफल प्रयोग ने चिकित्सा विज्ञाने के क्षेत्र में नए रास्ते खोले हैं। पाठक ने बताया कि टाइटेनियम के कृत्रिम मेंडेबल के निर्माण और सर्जरी में लगभग छह लाख रुपए का खर्च आया है। उन्होंने बताया कि अमेरिका में इस सर्जरी पर कम से कम डेढ लाख डॉलर का खर्च आता है। उन्होंने बताया कि दोनों जबड़ों के आकार की विकृति के पीड़ितों की दिल्ली स्थित एम्स में 3डी प्रिंटिंग तकनीक से कृत्रिम मेंडेबल की सर्जरी की जाती है। 

प्रभजोत को हो गया था मुंह के कैंसर
उन्होंने बताया कि भारत में मुंह के कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके इलाज में कृत्रिम मेंडेबल के स्वदेशी तकनीक से निर्माण का रास्ता खुलना सकारात्मक संकेत है। डा. मल्होत्रा ने बताया कि प्रभजोत 23 साल की उम्र में मुंह के कैंसर से पीड़ित हो गया था। छह साल तक उसके कैंसर के इलाज के बाद निचले जबड़े की हड्डी को 3डी प्रिंटिंग तकनीक के माध्यम से लगाने में एक साल तक चले प्रयासों के बाद सफलता मिली है। प्रभजोत ने बताया कि सर्जरी के बाद अब वह सामान्य तरीके से खाने पीने में सक्षम है। 

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