Edited By Parveen Kumar,Updated: 28 Nov, 2025 08:28 PM

दिल्ली-NCR की हवा दिन-प्रतिदिन ज़हरीली होती जा रही है और इसका असर लोगों की सेहत पर साफ दिखाई देने लगा है। Smytten PulseAI के नए सर्वे ने जो तस्वीर सामने रखी है, वह किसी भी नागरिक को चिंता में डाल सकती है। रिपोर्ट बताती है कि क्षेत्र के 80% से अधिक...
नेशनल डेस्क: दिल्ली-NCR की हवा दिन-प्रतिदिन ज़हरीली होती जा रही है और इसका असर लोगों की सेहत पर साफ दिखाई देने लगा है। Smytten PulseAI के नए सर्वे ने जो तस्वीर सामने रखी है, वह किसी भी नागरिक को चिंता में डाल सकती है। रिपोर्ट बताती है कि क्षेत्र के 80% से अधिक लोग लगातार खांसी, थकान और सांस में जलन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
68% लोगों को डॉक्टर का सहारा लेना पड़ा
सर्वे के अनुसार, पिछले एक वर्ष में 68.3% लोगों को प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के लिए मेडिकल सहायता लेनी पड़ी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह साफ संकेत है- दिल्ली का वायु प्रदूषण अब मौसम का नहीं, बल्कि स्थायी और गंभीर स्वास्थ्य संकट का रूप ले चुका है।
76% लोगों ने कम कर दिया बाहर निकलना
हवा इतनी खराब हो चुकी है कि लोग बाहर निकलने से डरने लगे हैं।
- 76.4% लोगों ने अपनी रोजाना की बाहरी गतिविधियाँ घटा दी हैं।
- कई परिवार अब बच्चों को स्कूल भेजने तक में झिझक रहे हैं।
- धुंध और बदबू से भरी हवा ने लोगों को घर के भीतर कैद-सा कर दिया है।
दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद के 4,000 निवासियों पर किए गए इस अध्ययन ने साफ दिखाया है कि अब शहर बाहरी खतरों से नहीं, बल्कि अपनी ही खराब हवा से जूझ रहा है।
80% लोग NCR छोड़ने की सोच रहे हैं
सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि 79.8% लोग NCR छोड़ चुके हैं या इसे छोड़ने की गंभीर योजना बना रहे हैं।
- 33.6% लोग जाने का पक्का मन बना चुके हैं।
- 31% लोग सक्रिय रूप से विकल्प तलाश रहे हैं।
- 15.2% निवासी तो पहले ही दूसरे शहरों में बस चुके हैं।
कई परिवार नए शहरों में घर, स्कूल और रोजगार की तलाश तक शुरू कर चुके हैं।
पहाड़ी शहर बने पहली पसंद
सर्वे बताता है कि लोग अब ऐसे शहरों में रहना चाहते हैं जहाँ हवा साफ हो, प्रदूषण न हो और रोज-रोज सांस लेने से पहले AQI ऐप चेक न करना पड़े।
- पहाड़ी क्षेत्र
- छोटे और कम औद्योगिक शहर, निवासियों की नई प्राथमिकता बन रहे हैं।
मध्यम वर्ग की जेब पर भारी बोझ
प्रदूषण ने दिल्ली-NCR के मध्यम वर्ग पर बड़ा वित्तीय दबाव डाला है-
- 85.3% परिवारों ने कहा कि प्रदूषण से घरेलू खर्च बढ़ गया है।
- 41.6% लोगों को गंभीर आर्थिक दबाव झेलना पड़ रहा है।
मास्क, एयर-प्यूरीफायर, दवाइयाँ, डॉक्टर के चक्कर- सब मिलकर परिवारों का बजट बिगाड़ रहे हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
Smytten PulseAI के सह-संस्थापक स्वगत सरंगी ने कहा- “यह अध्ययन दिखाता है कि खराब हवा अब सिर्फ स्वास्थ्य नहीं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता, नौकरी, खर्च और रहने की जगह तक को प्रभावित कर रही है। यह पर्यावरणीय समस्या से बढ़कर जीवनशैली का संकट बन चुकी है।”