Edited By Mansa Devi,Updated: 31 Aug, 2025 08:56 PM

लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को आठवें वेतन आयोग का बेसब्री से इंतजार है। लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या इस बार कई भत्तों को खत्म कर दिया जाएगा? जानकारों का मानना है कि सरकार इस बार भी 'भत्तों के सरलीकरण' की दिशा में...
नेशनल डेस्क: लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को आठवें वेतन आयोग का बेसब्री से इंतजार है। लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या इस बार कई भत्तों को खत्म कर दिया जाएगा? जानकारों का मानना है कि सरकार इस बार भी 'भत्तों के सरलीकरण' की दिशा में कदम उठा सकती है, जिसका मतलब है कि जिनकी अब ज़रूरत नहीं, उन्हें खत्म किया जा सकता है।
सातवें वेतन आयोग में क्या हुआ था?
सातवें वेतन आयोग की समीक्षा में पाया गया था कि करीब 196 तरह के भत्ते मौजूद थे। इसके बाद आयोग ने उनमें से 52 भत्तों को खत्म करने और 36 को दूसरे भत्तों में मिलाने की सिफारिश की थी। सरकार ने इस पर अमल भी किया और कई भत्तों को पूरी तरह से हटा दिया।
आठवें वेतन आयोग का फोकस
फाइनेंशियल एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार, आठवें वेतन आयोग में भी यही प्रक्रिया दोहराई जा सकती है। माना जा रहा है कि इस बार आयोग का फोकस 'कम अलाउंस और ज्यादा ट्रांसपेरेंसी' पर होगा। क्यों होंगे खत्म? डिजिटलाइजेशन और प्रशासनिक बदलावों के कारण कई पुराने भत्ते अपनी अहमियत खो चुके हैं। उदाहरण के लिए, पुराने समय से चले आ रहे कुछ विभागीय अलाउंस जैसे टाइपिंग या क्लेरिकल अलाउंस को खत्म किया जा सकता है। इन पर चलेगी कैंची? अनुमान है कि इस बार ट्रैवल अलाउंस, स्पेशल ड्यूटी अलाउंस, छोटे स्तर के रीजनल भत्ते और कुछ विभागीय अलाउंस को खत्म किया जा सकता है।
कर्मचारियों पर क्या होगा असर?
भत्तों के खत्म होने का मतलब यह नहीं है कि कर्मचारियों की सैलरी कम हो जाएगी। सरकार आमतौर पर ऐसा संतुलन बनाती है कि बेसिक पे और महंगाई भत्ते (DA) को बढ़ाकर इसकी भरपाई कर दी जाए। इससे कर्मचारियों की आय पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि उनकी पेंशन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि पेंशन की गणना बेसिक पे और DA पर ही होती है।