Edited By Mansa Devi,Updated: 05 Dec, 2025 03:29 PM

दिल्ली–एनसीआर समेत कई शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को ही प्रभावित नहीं कर रहा, बल्कि यह लिवर (Liver) के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है। इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियारी साइंसेस के डायरेक्टर डॉ. शिव कुमार सरिन के अनुसार, प्रदूषण में मौजूद...
नेशनल डेस्क: दिल्ली–एनसीआर समेत कई शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को ही प्रभावित नहीं कर रहा, बल्कि यह लिवर (Liver) के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है। इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियारी साइंसेस के डायरेक्टर डॉ. शिव कुमार सरिन के अनुसार, प्रदूषण में मौजूद हानिकारक कंपाउंड्स फेफड़ों के बाद लिवर तक पहुँचते हैं और समय के साथ इसका असर गंभीर हो सकता है। प्रारंभिक लक्षण फेफड़ों में दिखाई देते हैं, लेकिन लंबे समय तक जहरीली हवा में सांस लेने से लिवर भी प्रभावित होता है, डॉ. सरिन ने बताया।
वायु प्रदूषण का लिवर पर असर
इंफ्लेमेशन: हानिकारक पार्टिकल्स लिवर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ाते हैं, जिससे लिवर सेल्स डैमेज हो सकते हैं।
टिशू डैमेज: लगातार प्रदूषण के संपर्क में रहने से लिवर की कोशिकाएं और टिशू भी प्रभावित होते हैं।
बीमारियों का खतरा: लिवर फाइब्रोसिस और हेपेटॉसेलुलर कार्सिनोमा जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
DNA डैमेज: कुछ पॉल्यूटेंट्स लिवर के DNA को नुकसान पहुँचा सकते हैं, जिससे कैंसर होने का जोखिम बढ़ता है।
लिवर खराब होने के लक्षण
➤ लिवर बाइल जूस सही से नहीं बनता और ब्लड में फैलने लगता है।
➤ त्वचा और आंखों में पीलापन, पीलिया के लक्षण।
➤ पेशाब का रंग गाढ़ा हो जाना या खून की उपस्थिति।
➤ मांसपेशियों का क्षय और अनजाने में वजन कम होना।
➤ पाचन संबंधी दिक्कतें, खासकर फैटी भोजन को पचाने में कठिनाई।
➤ नाखून चम्मच जैसी शेप लेने लगते हैं।
➤ चोट लगने पर आसानी से खून निकलना।
विशेषज्ञों की सलाह
डॉ. सरिन का कहना है कि लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले लोग नियमित स्वास्थ्य जांच कराएँ। विशेष रूप से लिवर की जांच और रक्त परीक्षण समय-समय पर जरूरी हैं। घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल और बाहर जाने पर मास्क पहनना लिवर और फेफड़ों दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है। “जहरीली हवा केवल सांस की समस्या नहीं है, यह पूरे शरीर, विशेषकर लिवर के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकती है,” डॉ. सरिन ने चेताया।