Edited By Rohini Oberoi,Updated: 17 Dec, 2025 11:05 AM

भारत सरकार गर्भवती महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षित प्रसव को सुनिश्चित करने के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण योजना चला रही है। इस योजना का नाम है 'प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान' (PMSMA)। संसद में महिलाओं की सेहत से जुड़े एक सवाल का जवाब देते...
नेशनल डेस्क। भारत सरकार गर्भवती महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षित प्रसव को सुनिश्चित करने के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण योजना चला रही है। इस योजना का नाम है 'प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान' (PMSMA)। संसद में महिलाओं की सेहत से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने इस योजना की खूबियों पर विस्तार से चर्चा की। मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि केंद्र सरकार सुरक्षित मातृत्व को लेकर संकल्पित है और इसी दिशा में यह अभियान मील का पत्थर साबित हो रहा है।
हर महीने की 9 तारीख है खास
इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके तहत हर महीने की एक निश्चित तारीख यानी 9 तारीख को विशेष शिविर (Camps) लगाए जाते हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर गर्भवती महिला का गर्भावस्था के दौरान कम से कम एक बार किसी विशेषज्ञ डॉक्टर (Specialist Doctor) द्वारा चेकअप जरूर हो। समय पर चेकअप होने से गर्भावस्था के दौरान होने वाली जटिलताओं (Complications) का पहले ही पता लगाया जा सकता है और जच्चा-बच्चा दोनों की जान बचाई जा सकती है।

सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों का साथ
केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि यह सुविधा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत सभी राज्यों में सुचारू रूप से संचालित है। वर्तमान में देशभर में 23,000 से ज्यादा पब्लिक हेल्थ फैसिलिटी (सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र) इस अभियान से जुड़े हैं। इस नेक काम में केवल सरकारी ही नहीं बल्कि प्राइवेट डॉक्टरों को भी रजिस्टर्ड किया गया है जो अपनी सेवाएं स्वेच्छा से देते हैं। जो महिलाएं कामकाजी हैं या काम के सिलसिले में एक जगह से दूसरी जगह (Migrate) जाती हैं वे भी किसी भी केंद्र पर जाकर इस सुविधा का लाभ उठा सकती हैं।

डिजिटल ट्रैकिंग और आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका
सरकार आधुनिक तकनीक के माध्यम से भी महिलाओं की सेहत पर नजर रख रही है। जिन महिलाओं की प्रेग्नेंसी में जोखिम (High Risk) अधिक होता है उन्हें डिजिटल माध्यम से ट्रैक किया जाता है। इसके लिए आरसीएच (RCH) पोर्टल का उपयोग किया जाता है। ग्रामीण इलाकों में आशा (ASHA) कार्यकर्ता यह सुनिश्चित करती हैं कि उनके क्षेत्र की हर गर्भवती महिला कम से कम एक बार विशेषज्ञ डॉक्टर से अपना चेकअप जरूर करवाए।