भारत की रक्षा में बड़ी छलांग: 'आकाश प्राइम' मिसाइल का सफल परीक्षण, स्वदेशी रक्षा प्रणाली को मिली नई ताकत

Edited By Updated: 21 Jul, 2025 03:46 PM

akash prime missile indigenous defense gets new strength

भारत ने अपनी स्वदेशी रक्षा क्षमताओं में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है! रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित 'आकाश प्राइम' मिसाइल प्रणाली का लद्दाख के ऊंचे पहाड़ी इलाके में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। इस मिसाइल ने तेज़ गति से उड़...

नेशनल डेस्क: भारत ने अपनी स्वदेशी रक्षा क्षमताओं में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है! रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित 'आकाश प्राइम' मिसाइल प्रणाली का लद्दाख के ऊंचे पहाड़ी इलाके में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। इस मिसाइल ने तेज़ गति से उड़ रहे दो मानवरहित हवाई लक्ष्यों (UAV) को सटीकता से भेदकर गिरा दिया, जिससे भारत की आधुनिक रक्षा तकनीकों में एक नया अध्याय जुड़ गया है।

'आकाश प्राइम' को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) जैसे सरकारी कंपनियों के साथ-साथ कई निजी क्षेत्र की कंपनियों ने मिलकर बनाया है।

क्या है 'आकाश' मिसाइल प्रणाली?
'आकाश' एक मध्यम दूरी की ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जो 25-30 किलोमीटर तक काम कर सकती है। इसके कई वर्ज़न हैं, जैसे आकाश मार्क-1, आकाश 1S और आकाश NG। हर मिसाइल 60 किलोग्राम तक हथियार ले जा सकती है और एक साथ कई हवाई खतरों को निशाना बनाकर उन्हें बेअसर कर सकती है। यह 2.5 से 3.5 मैक की सुपरसोनिक गति से उड़ सकती है (यानी आवाज़ की गति से ढाई से साढ़े तीन गुना तेज़) और रास्ते में अपनी दिशा भी बदल सकती है। यह 100 मीटर से 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद खतरों को निशाना बना सकती है।

'आकाश NG' मिसाइल ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने और दुश्मन के हवाई हमलों के खिलाफ अपनी शानदार क्षमताएं दिखाई हैं। अपनी सिद्ध रक्षा क्षमताओं के कारण, 'आकाश' मिसाइल प्रणाली कई देशों को निर्यात की जा रही है, जिनमें आर्मेनिया पहला देश है।

'आकाश प्राइम' की अनोखी खासियतें
'आकाश प्राइम' स्वदेशी 'आकाश' हथियार प्रणाली की तीसरी और चौथी रेजीमेंट होगी। इसका परीक्षण भारतीय सेना और DRDO ने बुधवार को लद्दाख में 4,500 मीटर की ऊंचाई पर किया। दो दिनों तक चले इस परीक्षण में, इस हथियार प्रणाली ने दो तेज़ गति वाले UAV को पूरी सटीकता से नष्ट कर दिया। इस मिसाइल को खास तौर पर ऊंचाई वाले वायुमंडलीय क्षेत्रों में खतरों से निपटने के लिए बनाया और बेहतर किया गया है। इसमें स्वदेशी रूप से विकसित सक्रिय रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर लगा है, जिससे मौसम या ज़मीन की परवाह किए बिना यह बेहतर और समय पर सटीक निशाना लगा सकती है।

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "ऑपरेशनल फीडबैक के आधार पर, आकाश प्राइम में सुधार किए जाएंगे ताकि इसकी प्रभावशीलता और बढ़ाई जा सके। यह सफल परीक्षण ऊँची सीमाओं पर भारत की वायु रक्षा क्षमता को बढ़ाता है, जो मौजूदा क्षेत्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं को देखते हुए बहुत ज़रूरी है।"

'आकाश प्राइम' भारत के तेज़ी से बढ़ते स्वदेशी रक्षा क्षेत्र और वास्तविक युद्ध जैसे हालात में इसकी साफ़ परिचालन प्रभावशीलता में एक और बड़ी उपलब्धि है। यह देश की आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं को किसी भी सीमा पर, किसी भी मौसम में और किसी भी मुश्किल परिस्थिति में मज़बूत करती है, ताकि देश की रणनीतिक आज़ादी और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा की जा सके। ये स्वदेशी रक्षा प्रणालियाँ भारत की क्षमता और विश्वसनीयता को हिंद महासागर या हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक बड़े सुरक्षा प्रदाता के रूप में भी बढ़ाती हैं।

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