AI के दबदबे से बढ़ा डर! Amazon की छंटनी भारत के लिए है गंभीर चेतावनी

Edited By Updated: 03 Nov, 2025 09:26 PM

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ई-कॉमर्स दिग्गज Amazon ने ग्लोबल स्तर पर 14,000 कॉर्पोरेट नौकरियों में छंटनी की है, जिसमें एंट्री-लेवल से लेकर मार्केटिंग, फाइनेंस और एचआर सेक्टर तक प्रभावित हुए हैं। भारत में युवा आबादी के लिए यह गंभीर चेतावनी है। विशेषज्ञों का कहना है कि AI के...

नेशनल डेस्क : ई-कॉमर्स दिग्गज Amazon की हालिया छंटनी भारत के लिए एक गंभीर संकेत है। कंपनी ने वैश्विक स्तर पर 14,000 कॉर्पोरेट नौकरियों में कटौती की है, और इसका असर अब केवल एंट्री-लेवल प्रोग्रामिंग तक सीमित नहीं रहा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब मार्केटिंग, फाइनेंस, एचआर और टेक सेक्टर की नौकरियों को भी प्रभावित कर रहा है। भारत जैसे देश के लिए, जहां दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है, यह स्थिति चिंताजनक मानी जा रही है।

Amazon की छंटनी और भारत पर असर
भले ही Amazon की ग्लोबल छंटनी का सीधा असर भारत में तुरंत महसूस न हो, लेकिन जिन जॉब प्रोफाइल्स पर असर पड़ रहा है, वे भारत के रोजगार बाजार के लिए चिंता का विषय हैं। अब जनरेटिव AI ने प्रोग्रामिंग से आगे बढ़कर फाइनेंस, मार्केटिंग और एचआर जैसी व्हाइट-कॉलर नौकरियों को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे प्रमुख आउटसोर्सिंग हब्स में AI का असर पहले से देखा जा रहा है। इससे भारत के टेक-सेवी युवाओं और नए ग्रेजुएट्स के करियर पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

AI किन सेक्टरों को कर रहा प्रभावित
Northwestern University और MIT के शोध के अनुसार, नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) में तेज़ी से बढ़ोतरी उन नौकरियों को सबसे अधिक प्रभावित करेगी, जो कम-शिक्षित, कम-भुगतान और पुरुष-प्रधान हैं। लेकिन इस बार असर उल्टा भी हो सकता है — AI अब उन नौकरियों को भी चुनौती दे रहा है जिनके लिए वर्षों का प्रशिक्षण आवश्यक होता है, जैसे बैंकिंग एक्सपर्ट, ऑडिटर और डेटा एनालिस्ट।
McKinsey जैसी वैश्विक फर्मों ने पहले ही अपने AI टूल ‘Lilli’ को स्लाइड डेक प्रेजेंटेशन और डेटा एनालिसिस में शामिल कर लिया है, जिससे पारंपरिक नौकरियों की आवश्यकता कम हो रही है।

भारत के युवा और AI का खतरा
भारत में लगभग 37.5 करोड़ युवा 10 से 24 वर्ष की उम्र के बीच हैं। शहरों में युवा बेरोजगारी दर 18.5% तक पहुंच चुकी है, जबकि महिलाओं की भागीदारी इससे भी कम है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कंपनियां एंट्री-लेवल नौकरियों को AI से रिप्लेस करने लगीं, तो नए ग्रेजुएट्स के लिए करियर की शुरुआत करना और मुश्किल हो जाएगा।

LSE (London School of Economics) की रिपोर्ट बताती है कि अगर AI शुरुआती नौकरियां छीन लेता है, तो युवाओं को स्किल अपग्रेड और ट्रेनिंग के अवसर भी नहीं मिल पाएंगे, जिससे लंबे समय में रोजगार संकट और गहराने की आशंका है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अब शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट सिस्टम में AI-समर्थ बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि युवा इस तकनीकी परिवर्तन का हिस्सा बन सकें, न कि उसके शिकार।

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