अनुराग ठाकुर ने पूर्व सैनिकों की रिहाई का किया स्वागत, पोस्ट शेयर करते हुए बोले- पूर्व नौसेना कर्मियों की घर वापसी खुशी का क्षण

Edited By Updated: 12 Feb, 2024 02:06 PM

anurag thakur welcomed the release of ex servicemen

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कतर में मौत की सजा का सामना कर रहे नौसेना के आठ पूर्व सैनिकों की रिहाई का सोमवार को स्वागत किया और कहा कि इस घटनाक्रम ने किसी भी कीमत पर अपने नागरिकों की रक्षा करने की मोदी सरकार की क्षमता और गंभीरता में विश्वास को...

इंटरनेशनल डेस्क: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कतर में मौत की सजा का सामना कर रहे नौसेना के आठ पूर्व सैनिकों की रिहाई का सोमवार को स्वागत किया और कहा कि इस घटनाक्रम ने किसी भी कीमत पर अपने नागरिकों की रक्षा करने की मोदी सरकार की क्षमता और गंभीरता में विश्वास को मजबूत किया है। कतर ने संदिग्ध जासूसी के एक मामले में मौत की सजा सुनाए जाने के करीब साढ़े तीन महीने बाद जेल में बंद भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को रिहा कर दिया।

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विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनमें से सात सोमवार तड़के भारत लौट आए। ठाकुर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा,‘‘पूर्व नौसेना कर्मियों की घर वापसी खुशी का क्षण है और इससे किसी भी कीमत पर अपने नागरिकों की रक्षा करने की मोदी सरकार की गंभीरता और क्षमता में हमारा विश्वास और मजबूत हुआ है।'' उन्होंने कहा,‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मतलब दुनिया भर में भारत के लोगों के जीवन और स्वतंत्रता की गारंटी है।'' उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों को ‘कुछ झूठे आरोपों के तहत' हिरासत में लिया गया था।

नौसेना के पूर्व कर्मियों को 26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। खाड़ी देश की अपीलीय अदालत ने 28 दिसंबर को मृत्युदंड को कम कर दिया था और पूर्व नौसैन्य कर्मियों को अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई थी। निजी कंपनी अल दहरा के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को जासूसी के एक कथित मामले में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था। न तो कतर के अधिकारियों और न ही भारत ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया। पिछले साल 25 मार्च को भारतीय नौसेना के आठ कर्मियों के खिलाफ आरोप दाखिल किए गए थे और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था।

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अपीलीय अदालत ने मौत की सजा को कम करने के बाद भारतीय नागरिकों को उनकी जेल की सजा के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए 60 दिन का समय दिया था। पिछले साल मई में अल-दहरा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी लोग (मुख्य रूप से भारतीय) देश लौट आए।

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