Edited By Parveen Kumar,Updated: 06 Nov, 2025 09:34 PM

राजस्थान की पटरियों पर भारतीय रेलवे ने तकनीकी क्षमता और स्थिरता का ऐसा प्रदर्शन किया जिसने सबको हैरान कर दिया। वंदे भारत स्लीपर ट्रेन ने 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रायल पूरा किया- और हैरत की बात यह रही कि ट्रेन के अंदर रखे पानी के गिलास...
नेशनल डेस्क: राजस्थान की पटरियों पर भारतीय रेलवे ने तकनीकी क्षमता और स्थिरता का ऐसा प्रदर्शन किया जिसने सबको हैरान कर दिया। वंदे भारत स्लीपर ट्रेन ने 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रायल पूरा किया- और हैरत की बात यह रही कि ट्रेन के अंदर रखे पानी के गिलास की एक बूंद भी नहीं छलकी। यह नजारा भारतीय इंजीनियरिंग के आत्मविश्वास और डिज़ाइन की मजबूती का प्रतीक बन गया। ट्रायल का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग रेलवे की इस उपलब्धि की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।
सवाई माधोपुर से नागदा तक ‘मिशन रफ्तार’ का ट्रायल
यह ट्रायल पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल के सवाई माधोपुर–कोटा–नागदा रेलखंड पर किया गया। इसकी निगरानी आरडीएसओ, लखनऊ की परीक्षण निदेशालय टीम कर रही है। रेलवे के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक सौरभ जैन ने बताया कि यह परीक्षण 16 कोच वाली स्वदेशी तकनीक से बनी वंदे भारत स्लीपर रैक के साथ हो रहा है। ट्रायल 2 नवंबर से शुरू हुआ है और 17 नवंबर तक जारी रहेगा।
908 टन वजन के साथ भी 180 की उड़ान
असली परिस्थितियों की तरह ट्रायल करने के लिए ट्रेन में 800 टन वजन लादा गया और इसके अलावा 108 टन अतिरिक्त वज़न भी जोड़ा गया- जिसमें 50 किलो लोहे की धूल से भरे कनस्तर रखे गए थे। कुल मिलाकर ट्रेन 908 टन वज़न के साथ दौड़ी, फिर भी उसकी स्पीड और स्थिरता बरकरार रही। आरडीएसओ के परीक्षण निदेशक राधेश्याम तिवारी ने बताया कि यह भारतीय रेल की इंजीनियरिंग और निर्माण क्षमता का असाधारण प्रदर्शन है।
ट्रैक पर ‘लॉन्ग कंफर्मेटरी रन’ सफल
रोहलखुर्द और लबान स्टेशनों के बीच 50 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर ट्रेन ने 180 किमी प्रति घंटे की गति से लॉन्ग कंफर्मेटरी रन (LCR) पूरा किया। इस दौरान ऑसिलेशन टेस्ट, ब्रेकिंग टेस्ट और इमरजेंसी ब्रेकिंग क्षमता परीक्षण भी किए गए। इन परीक्षणों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि इतनी तेज गति में भी ट्रेन सुरक्षित, स्थिर और आरामदायक बनी रहे।
‘मिशन गति शक्ति’ की दिशा में बड़ा कदम
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन में नई और आधुनिक बोगियां लगाई गई हैं, जो यात्रियों को बेहतर स्टेबिलिटी और साउंडप्रूफ जर्नी देंगी। वर्तमान में देश की अधिकतर ट्रेनें 110 से 130 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती हैं, लेकिन इस सफल ट्रायल ने 180 किमी/घंटा गति वाली ट्रेनों का रास्ता खोल दिया है। रेलवे अब ट्रैक के आधुनिकीकरण और तकनीकी सुधारों पर काम कर रहा है, ताकि जल्द ही यह ट्रेन यात्रियों के लिए नियमित रूप से परिचालित की जा सके।