Doctors New Guidelines: बड़ा फैसला: सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नया नियम- प्रशासनिक डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक

Edited By Updated: 14 Nov, 2025 10:17 AM

ban on private practice of doctors holding administrative positions government

राजस्थान सरकार ने राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और संबद्ध अस्पतालों में प्रशासनिक जिम्मेदारी संभाल रहे डॉक्टरों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत अब प्रधानाचार्य और अधीक्षक निजी क्लीनिक या घर पर मरीज देखने जैसी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे और...

नेशनल डेस्क: राजस्थान सरकार ने राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और संबद्ध अस्पतालों में प्रशासनिक जिम्मेदारी संभाल रहे डॉक्टरों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत अब प्रधानाचार्य और अधीक्षक निजी क्लीनिक या घर पर मरीज देखने जैसी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे और उन्हें अपने पदों पर पूर्णकालिक रूप से काम करना होगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव अबरीष कुमार ने बताया कि अब प्रधानाचार्य और अधीक्षक अपने पदों के काम में पूरी तरह व्यस्त रहेंगे। वरिष्ठ आचार्य पद पर कार्यरत डॉक्टर केवल अधिकतम एक चौथाई समय अपने शैक्षणिक कार्यों में दे सकेंगे। साथ ही, चयनित प्रधानाचार्य और अधीक्षक विभागाध्यक्ष या यूनिट हेड बनने के योग्य नहीं होंगे और उन्हें आवेदन के साथ शपथ पत्र देना होगा कि वे पूर्णकालिक रूप से अपने पद पर कार्य करेंगे।

चयन प्रक्रिया और योग्यता
प्रधानाचार्य के पद पर आवेदन केवल NMC मानदंडों के अनुसार योग्य वरिष्ठ आचार्य ही कर सकेंगे। चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति करेगी, जिसमें चिकित्सा शिक्षा और कार्मिक विभाग के सचिव और संबंधित विश्वविद्यालय/कॉलेज के कुलपति सदस्य होंगे।

उम्मीदवार की अधिकतम आयु 57 वर्ष तय की गई है।
अनुभव: अधीक्षक या अतिरिक्त प्रधानाचार्य के रूप में 3 वर्ष, और विभागाध्यक्ष के रूप में 2 वर्ष।

कार्यकाल और स्थानांतरण
-चयनित उम्मीदवारों में से एक को तीन साल के कार्यकाल के लिए प्रधानाचार्य नियुक्त किया जाएगा। इसे विभाग की अनुमति से दो साल और बढ़ाया जा सकेगा।
-जरूरत पड़ने पर प्रधानाचार्य को अन्य कॉलेजों में स्थानांतरित किया जा सकता है।

एकल विशिष्टता वाले अस्पतालों में संबंधित विषय का वरिष्ठतम आचार्य अधीक्षक बनेगा, यदि वे पद नहीं ग्रहण करते हैं, तो अगले वरिष्ठ आचार्य को जिम्मेदारी दी जाएगी। अधीक्षक को भी पूर्णकालिक रूप से अपने पद पर कार्य करना होगा, और उन्हें निजी प्रैक्टिस, एचओडी या यूनिट हेड बनने की अनुमति नहीं होगी।
 
 

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