Edited By Mansa Devi,Updated: 07 Dec, 2025 09:08 PM

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के लिए नए नियम जारी किए हैं। ये नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होंगे। नए दिशा-निर्देशों के तहत बैंकिंग सर्विस के अप्रूवल प्रोसेस और कम्प्लायंस मानक सख्त होंगे, कस्टमर प्रोटेक्शन बढ़ेगा और शिकायत...
नेशनल डेस्क: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के लिए नए नियम जारी किए हैं। ये नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होंगे। नए दिशा-निर्देशों के तहत बैंकिंग सर्विस के अप्रूवल प्रोसेस और कम्प्लायंस मानक सख्त होंगे, कस्टमर प्रोटेक्शन बढ़ेगा और शिकायत निपटाने के नियम भी मजबूत होंगे।
नियम लागू होने की वजह
RBI के मुताबिक, ये नियम बढ़ती शिकायतों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। कई ग्राहकों ने बताया कि बैंकों द्वारा इंटरनेट बैंकिंग या कार्ड एक्टिवेशन के लिए मोबाइल ऐप डाउनलोड करने का दबाव डाला जा रहा था। अब नए नियम कस्टमर एक्सपीरियंस सुधारने और सर्विस बंडलिंग रोकने में मदद करेंगे।
डिजिटल बैंकिंग चैनल क्या हैं?
डिजिटल बैंकिंग चैनल वे प्लेटफॉर्म हैं जिनके जरिए बैंक इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सर्विस देते हैं। इसमें ट्रांजैक्शन वाली सर्विस (जैसे फंड ट्रांसफर, लोन) और केवल जानकारी देने वाली सर्विस (जैसे बैलेंस चेक, स्टेटमेंट डाउनलोड) दोनों शामिल हैं।
नियम किस पर लागू होंगे?
RBI ने नई गाइडलाइंस को सिर्फ बैंकों तक सीमित किया है। हालांकि, अगर बैंक थर्ड-पार्टी या फिनटेक को सेवाएं आउटसोर्स करता है, तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी सेवाएं नए नियमों के अनुरूप हों।
डिजिटल बैंकिंग शुरू करने के लिए क्या मंजूरी चाहिए?
जो बैंक कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (CBS) और IPv6 ट्रैफिक हैंडल करने में सक्षम IT इंफ्रास्ट्रक्चर रखते हैं, वे केवल देखने वाली सर्विस दे सकते हैं। ट्रांजैक्शनल सर्विस शुरू करने के लिए RBI से पहले मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, बैंकों को साइबर सिक्योरिटी, इंटरनल कंट्रोल और तकनीकी क्षमताओं को भी मजबूत करना होगा।
बैंकों के लिए नए नियम
➤ डिजिटल बैंकिंग सर्विस के लिए कस्टमर की स्पष्ट और डॉक्यूमेंटेड सहमति जरूरी होगी।
➤ कस्टमर लॉगिन के बाद बैंक थर्ड-पार्टी प्रोडक्ट तभी दिखा सकते हैं, जब खास अनुमति दी गई हो।
➤ सभी ट्रांज़ैक्शन के लिए SMS या ईमेल अलर्ट भेजना अनिवार्य होगा।
➤ जहां RBI और पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर दोनों के नियम लागू हैं, वहां अधिक सख्त नियम होंगे।
कस्टमर्स को कैसे फायदा होगा?
ग्राहक अब किसी दूसरी सर्विस जैसे डेबिट कार्ड के लिए डिजिटल चैनल चुनने के लिए बाध्य नहीं होंगे। वे अपनी सुविधा के अनुसार डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का किसी भी कॉम्बिनेशन का चयन कर सकते हैं।
इसके अलावा, बैंकों को रजिस्ट्रेशन और नियम-सशर्त जानकारी सरल और स्पष्ट भाषा में देनी होगी, जिससे सेवाओं की सुरक्षा और स्पष्टता बढ़ेगी।