Edited By Rohini Oberoi,Updated: 17 Aug, 2025 10:59 AM

तमिलनाडु के सलेम जिले में एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है जहां दो दोस्त लंबे समय से चिकन के नाम पर चमगादड़ का मांस बेच रहे थे। यह खुलासा तब हुआ जब वन विभाग की टीम ने 25 जुलाई को सलेम के थोप्पुर वन क्षेत्र में छापेमारी की और दोनों आरोपियों...
नेशनल डेस्क। तमिलनाडु के सलेम जिले में एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है जहां दो दोस्त लंबे समय से चिकन के नाम पर चमगादड़ का मांस बेच रहे थे। यह खुलासा तब हुआ जब वन विभाग की टीम ने 25 जुलाई को सलेम के थोप्पुर वन क्षेत्र में छापेमारी की और दोनों आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ा।
कैसे चल रहा था यह धंधा?
वन विभाग को स्थानीय लोगों से शिकायत मिली थी कि जंगल में रात के समय गोलियों की आवाजें सुनाई देती हैं। इस सूचना पर कार्रवाई करते हुए वन रेंजर विमल कुमार के नेतृत्व में टीम ने छापा मारा। मौके पर कमल (36) और सेल्वम (35) को फल चमगादड़ों का शिकार करते और उनके मांस को उबालकर तैयार करते हुए पाया गया।
पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे इस मांस को ओमलूर के ढाबों और फास्ट-फूड स्टॉल्स पर चिली चिकन या अन्य चिकन व्यंजनों के रूप में बेचते थे। वे ग्राहकों को बिना बताए यह खतरनाक मांस परोस रहे थे जिससे उनके स्वास्थ्य को गंभीर खतरा था।
यह भी पढ़ें: Cloud Burst: कठुआ में आफत की बारिश! फटा बादल, हाईवे जाम, मलबे की चपेट में आए कई घर
क्यों है यह मांस इतना खतरनाक?
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि फल चमगादड़ कई जानलेवा वायरस जैसे निपाह, इबोला और रेबीज के वाहक हो सकते हैं। इनका अधपका मांस खाने से गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। फरवरी 2025 में कांगो में चमगादड़ का मांस खाने से एक रहस्यमयी बीमारी फैली थी जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी। सलेम में इस तरह का गैरकानूनी धंधा भविष्य में किसी महामारी का कारण बन सकता है।
यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह का मामला सामने आया हो। इससे पहले रामेश्वरम में कौवे और बेंगलुरु में कुत्ते व चूहे का मांस चिकन बताकर बेचने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं जो स्ट्रीट फूड की गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
फिलहाल वन विभाग ने दोनों आरोपियों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत गिरफ्तार कर लिया है और मामले की आगे की जांच जारी है।