Edited By Radhika,Updated: 19 Nov, 2025 11:34 AM

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने देश में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) के बढ़ते खतरे पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा उपयोग और दुरुपयोग को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इसमें तत्काल सुधार लाने की जरुरत है। स्वास्थ्य...
नेशनल डेस्क: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने देश में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) के बढ़ते खतरे पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा उपयोग और दुरुपयोग को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इसमें तत्काल सुधार लाने की जरुरत है। स्वास्थ्य मंत्री ने प्रकाश डाला कि AMR एक गंभीर जोखिम पैदा करता है, खासकर कैंसर के इलाज और अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य प्रक्रियाओं के दौरान।

AMR से निपटने की पहल
मंत्री ने बताया कि AMR से निपटने की तैयारी देश में एक दशक पहले साल 2010 में प्रारंभिक चर्चा के साथ ही शुरू हो गई थी। इसके बाद साल 2017 में देश का पहला नेशनल एक्शन प्लान ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (NAP-AMR) लॉन्च किया गया था। उनका कहना है कि AMR की चुनौती का सामना करने के लिए कई अलग-अलग मंत्रालयों द्वारा महत्वपूर्ण पहल की गई हैं। यह दिखाता है कि सरकार इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से ले रही है।

भारत वैश्विक पहल में आगे
स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत उन अग्रणी देशों में से एक है जो AMR के खिलाफ वैश्विक पहल को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने AMR को "एक महामारी की तरह" बताया, जो विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका के विकासशील देशों को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रही है। AMR वह स्थिति है जब बैक्टीरिया, वायरस या अन्य रोगाणु दवाओं के खिलाफ खुद को प्रतिरोधी (रेजिस्टेंट) बना लेते हैं, जिससे सामान्य संक्रमण का इलाज मुश्किल या असंभव हो जाता है।