NDA की रणनीति महागठबंधन पर पड़ी भारी, इन कारणों की वजह से टूट गया तेजस्वी का सपना

Edited By Updated: 15 Nov, 2025 03:13 PM

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने रिकॉर्ड बहुमत के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की। मोदी-नीतीश की डबल इंजन छवि, समय पर सीट बंटवारा, ‘जंगल राज’ की याद दिलाने वाली रणनीति और महिलाओं व ईबीसी पर फोकस एनडीए की बड़ी जीत की वजह बने। महिला-ईबीसी आधारित ‘ME...

नेशनल डेस्क : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बहुमत के आंकड़े को पार कर ऐतिहासिक और निर्णायक जीत दर्ज की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 'डबल-इंजन सरकार' की गूंज मतदाताओं के बीच इतनी जोरदार रही कि महागठबंधन पूरी तरह बिखर गया। स्टार प्रचारकों के साथ-साथ अचूक राजनीतिक रणनीति और जमीनी कल्याणकारी योजनाओं ने तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने के सपने को चकनाचूर कर दिया। आइए जानते हैं NDA की इस बंपर जीत के पांच प्रमुख कारण:

1. गठबंधन में परिपक्वता
NDA ने चुनाव से महीनों पहले ही सौहार्दपूर्ण तरीके से सीट बंटवारा पूरा कर लिया। भाजपा और जद(यू) ने 101-101 सीटों पर समान रूप से चुनाव लड़कर परिपक्वता का परिचय दिया। हर दल को अपनी मजबूत सीटें मिलीं, जिससे वोट विभाजन न्यूनतम रहा और संसाधनों का अधिकतम उपयोग हुआ। यह सुसंगठित रणनीति गठबंधन की ताकत बनकर उभरी।

2. 'जंगलराज' का डर फिर से जगाया
NDA ने लालू-राबड़ी काल (1990-2005) के 'जंगलराज' की याद को प्रभावी ढंग से भुनाया। खुद को अराजकता की वापसी के खिलाफ एकमात्र रक्षक बताकर सुरक्षा और स्थिरता चाहने वाले मतदाताओं को लामबंद किया। विकास के वादों के साथ जुड़कर यह डराने की रणनीति NDA के पक्ष में भारी पड़ी।

3. नया 'M-E' फैक्टर: महिला और ईबीसी पर फोकस
पारंपरिक मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण को तोड़ते हुए NDA ने महिला और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) पर जोर दिया, जिससे 'ME' (महिला-ईबीसी) फैक्टर बना। नीतीश कुमार ने ईबीसी में मजबूत पकड़ बनाए रखी, भाजपा ने सवर्णों को एकजुट किया। लोजपा (रामविलास) और हम (सेक्युलर) ने दलित-पिछड़ा अपील बढ़ाई। इस समावेशी रणनीति से NDA को लगभग 49% वोट शेयर मिला।

4. महिलाओं-युवाओं का ऐतिहासिक समर्थन
इस चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया, जो NDA की जीत का निर्णायक आधार बना। जीविका दीदियों की सक्रियता और स्वयं सहायता समूहों पर केंद्रित योजनाओं ने महिला मतदाताओं को गहराई से प्रभावित किया। साथ ही, 14 लाख से अधिक नए युवा मतदाताओं ने NDA के वोट बैंक को मजबूती प्रदान की।

5. नीतीश का 'स्थायी अपील' फैक्टर
चुनौतियों के बावजूद नीतीश कुमार बिहार के सबसे भरोसेमंद नेता बने रहे। 'सुशासन' और 'स्थिरता' के पर्याय नीतीश को 'टाइगर अभी जिंदा है' जैसे नारों ने और मजबूत किया। भाजपा के साथ उनका तालमेल, कुर्मी-ईबीसी आधार को सवर्ण वोटों से जोड़ने में सफल रहा। इन पांच रणनीतिक और सामाजिक कारकों ने मिलकर NDA को 2025 बिहार चुनाव में रिकॉर्ड बहुमत दिलाया। यह जीत न सिर्फ नेतृत्व की ताकत है, बल्कि जनता की स्पष्ट पसंद भी।

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