Bihar Election 2025: बिहार चुनाव के लिए बीजेपी का बड़ा ऐलान, इस केंद्रीय मंत्री को बनाया प्रभारी

Edited By Updated: 25 Sep, 2025 03:53 PM

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बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है और सियासी सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख़ें करीब आ रही हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों की रणनीतियां भी ज़ोर पकड़ रही हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार कमान संभालने के लिए अपनी टीम में बड़ा...

नेशनल डेस्क: बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है और सियासी सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख़ें करीब आ रही हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों की रणनीतियां भी ज़ोर पकड़ रही हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार कमान संभालने के लिए अपनी टीम में बड़ा फेरबदल किया है।

भाजपा ने बिहार सहित तीन राज्यों के लिए चुनाव संचालन की ज़िम्मेदारी कुछ प्रमुख चेहरों को सौंपी है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बिहार विधानसभा चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया गया है। उनके साथ पार्टी ने दो बड़े नेताओं को भी अहम ज़िम्मेदारियां दी हैं - गुजरात भाजपा के दिग्गज नेता सी.आर. पाटिल को सह प्रभारी की भूमिका में लाया गया है, जबकि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भी इस टीम में सह प्रभारी बनाया गया है।

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने 25 सितंबर को एक पत्र जारी कर इन नियुक्तियों की आधिकारिक घोषणा की। पार्टी का स्पष्ट संकेत है कि बिहार उसके लिए इस समय प्राथमिकता में है, क्योंकि यहां चुनाव डेढ़ महीने के भीतर कराए जाने की संभावना है।

 बंगाल और तमिलनाडु में भी तैयारियां तेज

केवल बिहार ही नहीं, बीजेपी ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में भी अपनी चुनावी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है:

पश्चिम बंगाल के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को चुनाव प्रभारी बनाया गया है, जबकि सांसद विप्लव देव को सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है।

तमिलनाडु में सांसद बिजयंत पांडा को प्रभारी और राज्य मंत्री मुरलीधर महौल को सह प्रभारी नियुक्त किया गया है।

इन दोनों राज्यों में चुनाव तो अभी कुछ महीनों दूर हैं—बंगाल में मार्च-अप्रैल 2026, और तमिलनाडु में अप्रैल-मई 2026 में—but भाजपा पहले से ही चुनावी जमीनी तैयारी में जुट गई है।

 क्या है बिहार चुनाव का समीकरण?

बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। सूत्रों की मानें तो 5 से 15 नवंबर के बीच राज्य में मतदान की संभावना है। ऐसे में सत्तारूढ़ एनडीए को अपनी पकड़ बनाए रखने की चुनौती होगी, जबकि विपक्ष इस बार सत्ता में वापसी की पूरी कोशिश में है।

243 सीटों वाले बिहार में सत्ता की राह आसान नहीं है। पिछली बार के चुनाव में एनडीए ने बाज़ी तो मारी थी, लेकिन इस बार विपक्ष, जातीय समीकरण, और गठबंधनों की नई तस्वीर सब कुछ बदल सकती है।

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