Edited By Anu Malhotra,Updated: 11 Aug, 2025 07:29 AM
आज के डिजिटल युग में हर जगह आपको कैशबैक ऑफर देखने को मिलते हैं – क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करो, ₹1000 का कैशबैक पाओ। मोबाइल रीचार्ज पर ₹50 वापस। बिजली बिल भरने पर ₹200 कैशबैक। ये सब अब बहुत आम हो चुका है। लेकिन आयकर विभाग अब इन आम सी लगने वाली चीजों...
नेशनल डेस्क: आज के डिजिटल युग में हर जगह आपको कैशबैक ऑफर देखने को मिलते हैं – क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करो, ₹1000 का कैशबैक पाओ। मोबाइल रीचार्ज पर ₹50 वापस। बिजली बिल भरने पर ₹200 कैशबैक। ये सब अब बहुत आम हो चुका है। लेकिन आयकर विभाग अब इन आम सी लगने वाली चीजों पर भी पैनी नजर रख रहा है।
अगर आपके बैंक अकाउंट में लगातार बड़ी राशि कैशबैक के रूप में आ रही है – जैसे ₹2000, ₹5000 या ₹10,000 – तो विभाग इसे आपकी अन्य स्रोत से आय (Income from Other Sources) की श्रेणी में रख सकता है।
इन मामलों में कैशबैक बन सकता है टैक्स का कारण:
महंगी खरीदारी पर मोटा कैशबैक:
इंटरनेशनल ट्रैवल टिकट, लग्जरी गैजेट्स, महंगे होटलों की बुकिंग – इन सब पर मिलने वाला कैशबैक टैक्स के दायरे में आ सकता है।
बार-बार बड़ी रकम के लेन-देन:
यदि कोई व्यक्ति बार-बार केवल कैशबैक पाने के उद्देश्य से हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन करता है, तो यह आयकर विभाग की नजर में संदिग्ध हो सकता है।
ITR में न दिखाना:
अगर आपने ऐसे कैशबैक को अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में नहीं दिखाया, तो आपको विभाग से नोटिस मिल सकता है।
छोटे कैशबैक के लिए घबराने की जरूरत नहीं!
यदि आपको सिर्फ ₹50, ₹100 या ₹500 जैसे कैशबैक मिलते हैं, और वह सामान्य शॉपिंग या पेमेंट पर मिले हैं, तो इन्हें आमतौर पर टैक्स के दायरे में नहीं रखा जाता। ये "डिस्काउंट" या "इंसेंटिव" की तरह माने जाते हैं।
सच्ची कहानी: एक छोटी सी गलती और मिल गया नोटिस
2016 में एक निजी कंपनी में काम करने वाले रोहित सिंह को डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर ₹2500 का कैशबैक मिला था। उन्होंने इसे ITR में नहीं जोड़ा क्योंकि उन्हें लगा ये टैक्सेबल नहीं है। लेकिन कुछ महीनों बाद उन्हें आयकर विभाग से नोटिस मिल गया – इस आधार पर कि ये "अन्य स्रोत से आय" है जिसे उन्होंने डिक्लेयर नहीं किया।
कैसे बचें टैक्स नोटिस से? अपनाएं ये उपाय:
हर कैशबैक का रिकॉर्ड रखें – चाहे वह छोटा हो या बड़ा।
बड़ी रकम हो तो ITR में करें रिपोर्ट – इससे पारदर्शिता बनी रहती है।
समय पर ITR भरें – और जरूरी हो तो टैक्स सलाहकार की मदद लें।
बार-बार कैश लेनदेन से बचें – खासकर अगर वह ₹10,000 या उससे ज्यादा का है।
क्रेडिट कार्ड/UPI से होने वाले हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन पर नजर रखें।
कैशबैक पर टैक्स? कैसे और क्यों?
आज के डिजिटल युग में हर जगह आपको कैशबैक ऑफर देखने को मिलते हैं – क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करो, ₹1000 का कैशबैक पाओ। मोबाइल रीचार्ज पर ₹50 वापस। बिजली बिल भरने पर ₹200 कैशबैक। ये सब अब बहुत आम हो चुका है। लेकिन आयकर विभाग अब इन आम सी लगने वाली चीजों पर भी पैनी नजर रख रहा है।
अगर आपके बैंक अकाउंट में लगातार बड़ी राशि कैशबैक के रूप में आ रही है – जैसे ₹2000, ₹5000 या ₹10,000 – तो विभाग इसे आपकी अन्य स्रोत से आय (Income from Other Sources) की श्रेणी में रख सकता है।
इन मामलों में कैशबैक बन सकता है टैक्स का कारण:
महंगी खरीदारी पर मोटा कैशबैक:
इंटरनेशनल ट्रैवल टिकट, लग्जरी गैजेट्स, महंगे होटलों की बुकिंग – इन सब पर मिलने वाला कैशबैक टैक्स के दायरे में आ सकता है।
बार-बार बड़ी रकम के लेन-देन:
यदि कोई व्यक्ति बार-बार केवल कैशबैक पाने के उद्देश्य से हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन करता है, तो यह आयकर विभाग की नजर में संदिग्ध हो सकता है।
ITR में न दिखाना:
अगर आपने ऐसे कैशबैक को अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में नहीं दिखाया, तो आपको विभाग से नोटिस मिल सकता है।
छोटे कैशबैक के लिए घबराने की जरूरत नहीं!
यदि आपको सिर्फ ₹50, ₹100 या ₹500 जैसे कैशबैक मिलते हैं, और वह सामान्य शॉपिंग या पेमेंट पर मिले हैं, तो इन्हें आमतौर पर टैक्स के दायरे में नहीं रखा जाता। ये "डिस्काउंट" या "इंसेंटिव" की तरह माने जाते हैं।
एक छोटी सी गलती और मिल गया नोटिस
2016 में एक निजी कंपनी में काम करने वाले रोहित सिंह को डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर ₹2500 का कैशबैक मिला था। उन्होंने इसे ITR में नहीं जोड़ा क्योंकि उन्हें लगा ये टैक्सेबल नहीं है। लेकिन कुछ महीनों बाद उन्हें आयकर विभाग से नोटिस मिल गया – इस आधार पर कि ये "अन्य स्रोत से आय" है जिसे उन्होंने डिक्लेयर नहीं किया।