Edited By Rohini Oberoi,Updated: 18 Dec, 2025 11:33 AM

हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों के मन में अक्सर एक सवाल आता है कि त्योहारों या इमरजेंसी के वक्त अचानक फ्लाइट का किराया 5 से 10 गुना तक क्यों बढ़ जाता है? क्या एयरलाइंस अपनी मनमानी करती हैं या इसके पीछे कोई ठोस नियम है? हाल ही में इंडिगो की उड़ानों...
नेशनल डेस्क। हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों के मन में अक्सर एक सवाल आता है कि त्योहारों या इमरजेंसी के वक्त अचानक फ्लाइट का किराया 5 से 10 गुना तक क्यों बढ़ जाता है? क्या एयरलाइंस अपनी मनमानी करती हैं या इसके पीछे कोई ठोस नियम है? हाल ही में इंडिगो की उड़ानों के कैंसिल होने के दौरान जब किराया बेतहाशा बढ़ा तो एक बार फिर यह बहस छिड़ गई कि आखिर सरकार इन कीमतों को कंट्रोल क्यों नहीं करती। आइए आसान भाषा में समझते हैं हवाई किराए का पूरा गणित।
क्या है डायनेमिक प्राइसिंग (Dynamic Pricing)?
भारत में हवाई टिकटों की कीमतें पूरी तरह डायनेमिक प्राइसिंग पर आधारित होती हैं। इसका सरल मतलब यह है कि किराया फिक्स नहीं होता बल्कि कई बाहरी कारणों से बदलता रहता है:
-
मांग और आपूर्ति (Demand & Supply): अगर यात्री ज्यादा हैं और सीटें कम तो दाम बढ़ेंगे।
-
बुकिंग का समय: यात्रा की तारीख से जितने पहले आप टिकट बुक करेंगे किराया उतना कम होगा। आखिरी वक्त (Last Minute) की बुकिंग हमेशा महंगी होती है।
-
सीजन और त्योहार: शादी का सीजन, दिवाली या क्रिसमस जैसे मौकों पर डिमांड बढ़ने से सिस्टम अपने-आप कीमतें बढ़ा देता है।
-
ईंधन की कीमत (ATF): विमान के ईंधन के दाम बढ़ने पर भी किराए में बढ़ोतरी होती है।
क्या सरकार तय करती है किराया?
इस सवाल का जवाब नहीं है। भारत में हवाई किराया बाजार आधारित है। सरकार 'एयर कॉरपोरेशन अधिनियम, 1953' के तहत किराया नियंत्रित करती थी। इस कानून के खत्म होने के बाद एविएशन सेक्टर को डीरगुलेट (Deregulate) कर दिया गया। अब सरकार या DGCA यह तय नहीं करते कि टिकट ₹5000 का होगा या ₹50,000 का। कंपनियों को छूट तो है लेकिन उन्हें अपनी वेबसाइट पर किराए की श्रेणियों (Buckets) के बारे में पूरी जानकारी देनी होती है।
क्या एयरलाइंस पर कोई लगाम नहीं है?
भले ही बाजार डीरगुलेटेड है लेकिन सरकार के पास 'विशेष परिस्थितियों' में हस्तक्षेप करने का अधिकार है। जब कंपनियां यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाती हैं तो सरकार 'कैपिंग पॉलिसी' (Price Capping) लागू कर सकती है।
उदाहरण जब सरकार ने दखल दिया:
-
कोविड-19 महामारी: सरकार ने किराए की निचली और ऊपरी सीमा (Lower & Upper limit) तय कर दी थी।
-
इमरजेंसी या आपदा: कुंभ मेले के दौरान या पहलगाम जैसे आतंकी हमलों के समय जब लोगों को सुरक्षित बाहर निकलना था तब सरकार ने कंपनियों को मनमाना किराया न वसूलने के निर्देश दिए थे।
-
इंडिगो क्राइसिस: हाल ही में तकनीकी कारणों से फ्लाइट्स कैंसिल होने पर भी मंत्रालय ने सख्त रुख अपनाया।
यात्रियों के लिए टिप
यदि आप चाहते हैं कि आपको सस्ता टिकट मिले तो विशेषज्ञों की सलाह है कि यात्रा से कम से कम 21 से 30 दिन पहले टिकट बुक करें। 'लास्ट मिनट बुकिंग' हमेशा एयरलाइंस के लिए ज्यादा मुनाफा कमाने का जरिया होती है क्योंकि उन्हें पता होता है कि यात्री किसी मजबूरी या इमरजेंसी में यात्रा कर रहा है।