New Income Tax Bill 2025: संसद में पेश होगा नया आयकर कानून, जानें टैक्सपेयर्स के लिए क्या बदलेगा?

Edited By Updated: 10 Aug, 2025 03:32 PM

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देश में करदाताओं के लिए आयकर व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है केंद्र सरकार। 11 अगस्त, सोमवार को संसद में नया इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया जाएगा, जिसे लेकर काफी चर्चाएं और चर्चाओं के बीच बदलावों की मांग उठ रही थी।

नई दिल्ली: देश में करदाताओं के लिए आयकर व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है केंद्र सरकार। 11 अगस्त, सोमवार को संसद में नया इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया जाएगा, जिसे लेकर काफी चर्चाएं और चर्चाओं के बीच बदलावों की मांग उठ रही थी।

पिछले शुक्रवार को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पुराने विधेयक को औपचारिक रूप से वापस लेने का प्रस्ताव रखा, जिसे संसद की मंजूरी मिल गई। अब सरकार संशोधित रूप में नया बिल लाने की तैयारी कर रही है, जिसमें संसदीय प्रवर समिति की रिपोर्ट के आधार पर कई अहम बदलाव किए गए हैं।

 कमेटी की रिपोर्ट: 4,584 पेज, 566 सुझाव
भाजपा सांसद बैजयंत पांडा के नेतृत्व में गठित 31 सदस्यीय प्रवर समिति ने नए इनकम टैक्स बिल की गहन समीक्षा के बाद 566 सिफारिशें दी हैं। समिति का उद्देश्य था कि नया कानून मौजूदा टैक्स ढांचे के साथ बेहतर समन्वय में हो, कानूनी अस्पष्टताओं को दूर करे और आम करदाताओं के लिए अधिक समझने योग्य बने।

 पैनल के प्रमुख सुझावों की एक झलक:
आईटीआर फाइलिंग में लचीलापन:

समिति ने उस प्रावधान को हटाने की सिफारिश की है, जिसमें देर से रिटर्न भरने वालों को टैक्स रिफंड नहीं दिया जाता था।

धारा 80एम में बदलाव की सिफारिश:
इंटर-कॉर्पोरेट डिविडेंड पर डिडक्शन से जुड़े इस क्लॉज को लेकर स्पष्टता लाने और कंपनियों को राहत देने का सुझाव।

जीरो टीडीएस सर्टिफिकेट:
टैक्सपेयर्स को ज़ीरो टैक्स डिडक्शन सर्टिफिकेट देने की अनुमति देने की सिफारिश, ताकि उनका टीडीएस फंसे नहीं।

टैक्स रेट में कोई बदलाव नहीं:
समिति ने टैक्स स्लैब या दरों में किसी बदलाव की सिफारिश नहीं की है। हालांकि, मीडिया में एलटीसीजी रेट को लेकर चर्चा थी जिसे आयकर विभाग ने नकार दिया।

MSME की परिभाषा में बदलाव:
माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज की पहचान MSME एक्ट के अनुसार करने की सलाह, जिससे स्पष्टता बढ़ेगी।

डेफिनेशंस को और स्पष्ट करने पर जोर:
कानून के अंदर कई शब्दों और वर्गीकरण की व्याख्या को और सटीक बनाने का सुझाव, जिससे कानूनी भ्रम न रहे।

प्रोविडेंट फंड और पेनाल्टी प्रावधान:
PF पर टीडीएस, एडवांस रूलिंग की फीस और जुर्माना लगाने की प्रक्रिया को लेकर अधिक पारदर्शिता और स्पष्टता लाने के लिए बदलाव प्रस्तावित।

कमजोर वर्ग और छोटे व्यापारियों को ध्यान में रखकर बदलाव:
छोटे करदाताओं और सूक्ष्म इकाइयों के बोझ को कम करने की दिशा में सरल और व्यावहारिक सुझाव दिए गए हैं।

फ्रेमवर्क अलाइनमेंट:
नया कानून मौजूदा टैक्स सिस्टम के साथ बेहतर मेल खा सके, इसके लिए पुराने कानूनों और नियमों से इसके तालमेल की सिफारिश।

Stakeholders की राय का समावेश:
विधेयक तैयार करते समय व्यापारियों, करदाताओं और विशेषज्ञों से प्राप्त सुझावों को गंभीरता से शामिल किया गया।

 अब आगे क्या?
सरकार अब इन सुझावों को ध्यान में रखते हुए नया विधेयक संसद में पेश करने जा रही है। यदि यह पास होता है, तो 2026 से नई टैक्स व्यवस्था लागू हो सकती है। इसका उद्देश्य केवल कर संग्रह करना नहीं, बल्कि टैक्स सिस्टम को आधुनिक और करदाताओं के लिए ज्यादा अनुकूल बनाना है।

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