Edited By Anu Malhotra,Updated: 27 Nov, 2025 01:10 PM

केंद्र सरकार ने 21 नवंबर 2025 से चार नए लेबर कोड लागू कर दिए हैं, जो कर्मचारियों की सुरक्षा और उनके हक को मजबूत करने के लिए बनाए गए हैं। हालांकि, इस बदलाव का सबसे सीधे असर कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी पर पड़ने वाला है। नए नियम के मुताबिक कंपनियों को...
नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने 21 नवंबर 2025 से चार नए लेबर कोड लागू कर दिए हैं, जो कर्मचारियों की सुरक्षा और उनके हक को मजबूत करने के लिए बनाए गए हैं। हालांकि, इस बदलाव का सबसे सीधे असर कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी पर पड़ने वाला है। नए नियम के मुताबिक कंपनियों को अपने सैलरी स्ट्रक्चर में संशोधन करना होगा, जिससे बेसिक सैलरी का हिस्सा कम से कम 50% होना जरूरी हो गया है।
सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव
पहले कंपनियों में भत्तों (Allowances) को ज्यादा रखकर बेसिक सैलरी को कम किया जाता था। इससे PF और ग्रेच्युटी की राशि भी कम रहती थी। अब नए कोड के तहत यदि किसी कर्मचारी के भत्ते कुल सैलरी के 50% से ज्यादा हैं, तो अतिरिक्त रकम को ‘मजदूरी’ (Wages) में जोड़ना अनिवार्य होगा। इसका मतलब साफ है: बेसिक सैलरी बढ़ेगी, जिससे PF और ग्रेच्युटी का योगदान बढ़ जाएगा, लेकिन टेक-होम सैलरी में कमी आएगी।
10 लाख रुपये के पैकेज का उदाहरण
मान लीजिए किसी कर्मचारी की कुल सैलरी पैकेज 10 लाख रुपये है।
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विवरण
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पुराना नियम (40% बेसिक)
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नया नियम (50% बेसिक)
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कुल पैकेज
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10,00,000 रुपये
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10,00,000 रुपये
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बेसिक सैलरी
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4,00,000 रुपये
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5,00,000 रुपये
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PF (12%)
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48,000 रुपये
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60,000 रुपये
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ग्रेच्युटी (@4.81%)
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19,240 रुपये
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24,050 रुपये
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टेक-होम सैलरी
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9,32,760 रुपये
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9,15,950 रुपये
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इस बदलाव से कर्मचारी की टेक-होम सैलरी में लगभग 16,810 रुपये की कमी आएगी, यानी महीने के हिसाब से करीब 1,400 रुपये का अंतर।
क्यों किया गया यह बदलाव?
सरकार का कहना है कि यह कदम रिटायरमेंट प्लानिंग को मजबूत करने और कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए उठाया गया है। बेसिक सैलरी बढ़ने से PF और ग्रेच्युटी में योगदान बढ़ेगा, जिससे रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को बेहतर लाभ मिलेगा।
कर्मचारियों के लिए मुख्य पॉइंट
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बेसिक सैलरी अब कुल पैकेज का कम से कम 50% होगी।
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PF और ग्रेच्युटी का योगदान बढ़ेगा।
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टेक-होम सैलरी थोड़ी कम होगी।
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बदलाव से लंबी अवधि में रिटायरमेंट फायदे बढ़ेंगे।
सरकार का यह नया लेबर कोड न केवल कर्मचारियों के हक को स्पष्ट करता है, बल्कि उन्हें भविष्य के लिए बेहतर वित्तीय सुरक्षा भी देता है।