Labour Codes 2025: क्या नए लेबर कोड से खत्म हो जाएगा मजदूरों का ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार? जानें पूरा सच

Edited By Updated: 29 Nov, 2025 04:41 PM

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नए लेबर कोड के तहत सभी सेक्टर के मजदूरों और कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। इसमें गिग, प्लेटफॉर्म और घरेलू मजदूर भी शामिल हैं। ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार बना रहेगा और उन्हें कानूनी पहचान दी गई है। हफ्ते में चार...

नेशनल डेस्क : सोशल मीडिया पर इन दिनों नए लेबर कोड को लेकर कई तरह की अफवाहें फैल रही हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चित यह मैसेज है कि नए लेबर कोड मजदूरों के ट्रेड यूनियन बनाने के अधिकार को खत्म कर देते हैं, हड़ताल करने पर कड़ी शर्तें लगाते हैं और 90 प्रतिशत मजदूर इन कोड के दायरे से बाहर हैं। इसके अलावा यह दावा किया जा रहा है कि नए कोड मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा पक्का करेंगे, जो PIB ने बेबुनियाद करार दिया है।

PIB फैक्ट चेक ने क्या कहा
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक टीम ने अपने सोशल मीडिया X अकाउंट पर पोस्ट किया कि सोशल मीडिया पर जो संदेश फैल रहे हैं, उनमें कई गलत दावे हैं। इनमें प्रमुख दावा यह था कि नए लेबर कोड मजदूरों के ट्रेड यूनियन बनाने के अधिकार को खत्म कर देंगे और हड़ताल पर सख्त शर्तें लगाई जाएंगी। साथ ही कहा गया कि 90 प्रतिशत मजदूर अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में हैं और कोड के दायरे से बाहर होंगे। PIB ने स्पष्ट किया कि ये दावे झूठे हैं।

It is circulating on social media that Samyukt Kisan Morcha claims that:

▪️The new labour codes will ensure minimum wages and social security for workers are “unsubstantiated”

▪️90 per cent of workers are in the unorganised sector and out of the ambit of these codes.

▪️The… pic.twitter.com/TJA4JcQ2Jn

— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) November 25, 2025

नए लेबर कोड की सच्चाई
नए लेबर नियम के अनुसार, कर्मचारियों और मजदूरों के अधिकार और सुविधाओं को सुनिश्चित किया गया है। इसके तहत सभी सेक्टर के कर्मचारियों पर न्यूनतम मजदूरी लागू होगी और नेशनल फ्लोर वेज यह तय करता है कि कोई भी राज्य न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करते समय तय फ्लोर से कम वेज नहीं तय कर सकता। इसके साथ ही पहली बार ऑर्गनाइज्ड और अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर के सभी मजदूरों को सोशल सिक्योरिटी फ्रेमवर्क के तहत कवर किया गया है, जिसमें गिग, प्लेटफॉर्म और घरेलू मजदूर भी शामिल हैं। ट्रेड यूनियनों को कानूनी पहचान दी गई है और इन्हें बातचीत करने वाली काउंसिल के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिससे मजदूर अपने ट्रेड यूनियन बनाने के अधिकार से वंचित नहीं होंगे। इसके अलावा, हफ्ते में चार दिन तक 12 घंटे काम करने की सुविधा दी जाएगी, जबकि बाकी तीन दिन पेड छुट्टियां मिलेंगी।

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