New labor codes: सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव अनिवार्य, 50% बेसिक नियम से बदलेंगे कर्मचारियों के रिटायरमेंट लाभ

Edited By Updated: 24 Nov, 2025 04:22 PM

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केंद्र सरकार द्वारा पुराने श्रम कानूनों को समेटकर चार नई श्रम संहिताओं के रूप में लागू करने के बाद अब कंपनियों को अपने कर्मचारियों के वेतन ढांचे में बड़े पैमाने पर बदलाव करना होगा। दिलचस्प बात यह है कि इन बदलावों से कर्मचारियों को रिटायरमेंट लाभ...

नेशनल डेस्क:  केंद्र सरकार द्वारा पुराने श्रम कानूनों को समेटकर चार नई श्रम संहिताओं के रूप में लागू करने के बाद अब कंपनियों को अपने कर्मचारियों के वेतन ढांचे में बड़े पैमाने पर बदलाव करना होगा। दिलचस्प बात यह है कि इन बदलावों से कर्मचारियों को रिटायरमेंट लाभ अधिक मिलने की संभावना तो है, लेकिन उनकी मासिक टेक-होम सैलरी में तत्काल कोई कटौती नहीं होने जा रही। इसका कारण है—ईपीएफ योगदान पर लागू 15,000 रुपये की मौजूदा न्यूनतम वेतन सीमा, जो अभी भी यथावत है।

पीएफ के नियम जस के तस, लेकिन 15,000 से कम वेतन वालों पर थोड़ा असर
विशेषज्ञों का मानना है कि नई संहिताओं में भविष्य निधि (PF) के मूल नियमों को नहीं छुआ गया है। पीएफ की अनिवार्य कटौती अभी भी 15,000 रुपये के बेसिक पर ही तय होगी। ऐसे कर्मचारी जिनका मूल वेतन और डीए इस सीमा से कम है, उनके वेतन से PF का हिस्सा थोड़ा बढ़ सकता है, लेकिन कटौती 15,000 रुपये की तय सीमा से अधिक नहीं जाएगी।
इसी वजह से अधिकतर कर्मचारियों के मासिक वेतन पर तत्काल असर पड़ने की संभावना नगण्य है।

नया वेतन ढांचा: बेसिक पे कम से कम 50% अनिवार्य
नई श्रम संहिताओं में वेतन की परिभाषा को पूरी तरह बदल दिया गया है। कंपनियां अब कम बेसिक पे दिखाकर बड़े पैमाने पर भत्तों का सहारा नहीं ले पाएंगी।
नए नियमों के अनुसार—मूल वेतन, डीए और प्रतिदेय भत्तों का योग कुल सीटीसी का कम से कम 50% होना अनिवार्य है।
इस बदलाव के चलते पीएफ, ईएसआईसी, मातृत्व लाभ और ग्रेच्युटी जैसे सभी सामाजिक लाभों की गणना अब एक अधिक पारदर्शी और स्पष्ट आधार पर होगी।

ग्रेच्युटी की गणना में बड़ा फायदा
अब तक कंपनियां बेसिक पे कम रखकर ग्रेच्युटी की राशि कम कर देती थीं। लेकिन नए प्रावधानों के बाद ग्रेच्युटी की गणना कुल वेतन संरचना के 50% हिस्से पर आधारित होगी। इसका सीधा लाभ उन कर्मचारियों को मिलेगा जो 21 नवंबर के बाद नौकरी छोड़ेंगे या सेवानिवृत्त होंगे—उन्हें पहले की तुलना में अधिक ग्रेच्युटी मिलेगी।

निश्चित अवधि वाले कर्मचारियों को बड़ी राहत
पहले फिक्स्ड-टर्म (निश्चित अवधि) कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पाने के लिए 5 वर्ष की सेवा जरूरी थी।
अब सिर्फ एक वर्ष की सेवा पूरी करना पर्याप्त होगा।
हालांकि विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि अनुबंध बार-बार नवीनीकृत होने पर उसे निरंतर सेवा माना जाए या नया अनुबंध—इस पर सरकार को और स्पष्ट दिशा देने की जरूरत होगी।
स्थायी कर्मचारियों के लिए पुराने नियम ही लागू रहेंगे—5 वर्ष की सेवा अनिवार्य (मृत्यु या विकलांगता को छोड़कर)।

टेक-होम सैलरी में कटौती की आशंका कम
क्योंकि PF की सीमा अभी 15,000 रुपये पर ही तय है, इसलिए कंपनियां भले वेतन संरचना को नए नियमों के अनुरूप बदलें, पर मौजूदा कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी पर कोई बड़ा असर नहीं आने वाला।
हाँ, नए कर्मचारियों की CTC संरचना जरूर नए नियमों के अनुसार तय की जाएगी।

महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा में बड़ा विस्तार

नई संहिताओं में महिला कर्मचारियों के अधिकारों को मजबूत किया गया है।
पहली बार ‘परिवार’ की श्रेणी में सास-ससुर को भी शामिल किया गया है।
साथ ही, समान काम के लिए समान वेतन अब कानूनी दायित्व होगा।
कार्यस्थल की शिकायत समितियों में महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य कर दी गई है।

अब हर कर्मचारी को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य
नई श्रम संहिताओं के तहत देश की हर कंपनी—चाहे वह छोटी हो या बड़ी—को हर कर्मचारी को नियुक्ति पत्र देना होगा।
वेतन हर महीने की सात तारीख तक देना अनिवार्य होगा और शिकायतों के निपटारे के लिए एक संरचित व्यवस्था बनानी होगी।


 

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