नहीं सुधर रहा ड्रैगन! चीनी राजदूत ने कहा- हमपर नहीं है विवाद खत्म करने की जिम्मेदारी

Edited By Yaspal,Updated: 25 Jun, 2020 09:10 PM

chinese ambassador said we do not have the responsibility to end the dispute

लद्दाख की गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष के बाद भारत और चीन के संबंध बेहद तनावपूर्ण हालातों से गुजर रहे हैं। गलवान में मुंह की खाने के बाद भी चीन सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान भारत में चीन के राजदूत सुन वेइडोंग...

बीजिंगः लद्दाख की गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष के बाद भारत और चीन के संबंध बेहद तनावपूर्ण हालातों से गुजर रहे हैं। गलवान में मुंह की खाने के बाद भी चीन सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान भारत में चीन के राजदूत सुन वेइडोंग ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मौजूदा सीमा विवाद के समाधान की जिम्मेदारी चीन पर नहीं है। चीन ने कहा कि वह सीमा गतिरोध से निपटने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। इसके साथ ही उसने कहा कि ‘संदेह और संघर्ष' गलत रास्ता है तथा यह दोनों देशों के लोगों की मौलिक आकांक्षाओं के विपरीत है।

भारत में चीनी राजदूत सुन वेइदोन ने  कहा कि चीन और भारत मतभेदों को सुलझाने में सक्षम हैं। उन्होंने भारत से ऐसी कार्रवाई से बचने का आह्वान किया जिससे पूर्वी लद्दाख में स्थिति ‘जटिल' हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में चीन-भारत सीमा पर समग्र स्थिति "स्थिर और नियंत्रण योग्य है।" उन्होंने कहा, "हम आशा करते हैं कि भारतीय पक्ष चीनी पक्ष के साथ कुछ बिंदुओं पर सहमति जताएगा, ऐसी कार्रवाई करने से बचेगा जो सीमा की स्थिति को जटिल बना सकता है और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिरता बनाए रखने के लिए ठोस कार्रवाई करेगा।''

तनाव कम करे भारत
उल्लेखनीय है कि भारतीय और चीनी सेनाएं पिछले छह हफ्तों से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर आमने-सामने हैं। 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद हो जाने के बाद तनाव काफी बढ़ गया। चीनी राजदूत ने कहा कि "परस्पर सम्मान और समर्थन" एक निश्चित तरीका है और दोनों देशों के दीर्घकालिक हितों को पूरा करता है। लेकिन साथ ही उन्होंने क्षेत्र में तनाव कम करने की ज्यादातर जिम्मेदारी भारत पर डाल दी। उन्होंने कहा, "चीन और भारत दोनों बड़े विकासशील देश हैं और एक अरब से अधिक आबादी के साथ उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं, और दोनों के पास अपने विकास और पुनरोद्धार को साकार करने का ऐतिहासिक मिशन है।"

चीनी राजदूत ने आगे कहा, "चीन और भारत मतभेदों को उचित तरीके से सुलझाने में सक्षम और इच्छुक हैं। पिछले कुछ हफ्तों में, दोनों पक्षों ने तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कई बातचीत की है, वहीं चीनी सेना ने 3,500 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सभी संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है।'' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बृहस्पतिवार को साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीनी पक्ष गलवान घाटी क्षेत्र के संबंध में पहले बनी सहमति से पीछे हट गया और एलएसी के ठीक पार ढांचे खड़ा करने की कोशिश की।

चीन शांति चाहता है
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘जब इस प्रयास को नाकाम कर दिया गया, तो चीनी सैनिकों ने 15 जून को हिंसक कार्रवाई की जिससे सैनिक हताहत हुए।" उन्होंने कहा कि इस साल चीनी सेना का आचरण परस्पर रूप से सहमत हुए मानदंडों की पूर्ण अवहेलना है। चीनी दूत ने कहा, ‘‘ आपसी सम्मान और समर्थन निश्चित रूप से दोनों देशों के दीर्घकालिक हित में है वहीं संदेह और संघर्ष गलत रास्ता है और यह दोनों देशों के लोगों की आकांक्षाओं के विपरीत है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण आम सहमति के मार्गदर्शन में, हम वर्तमान स्थिति से ठीक से निपटने के लिए, सीमा क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए, और द्विपक्षीय संबंधों के ठोस और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए भारतीय पक्ष के साथ काम करने को तैयार हैं।''

गलवान हिंसा के लिए भारतीय सैनिकों को ठहराया जिम्मेदार
साक्षात्कार के दौरान सुन ने चीनी सरकार के रुख को दोहराया कि भारतीय सैनिक गलवान घाटी संघर्ष के लिए जिम्मेदार हैं और इंगित किया कि पूर्वी लद्दाख में स्थिति में सुधार करने का दायित्व भारत पर है। चीन के इस दावे को भारत पहले ही अस्वीकार कर चुका है। उन्होंने कहा, "चीन पर दायित्व नहीं है। भारतीय पक्ष ने उकसावे के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया और चीनी सैनिकों पर हमला किया। भारतीय बलों ने दोनों देशों के बीच सीमा के मुद्दों पर हुए समझौतों का गंभीरता से उल्लंघन किया।" सुन ने 17 जून को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुयी बातचीत का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों पक्ष गलवान टकराव के कारण पैदा स्थिति को "काफी हद तक सुलझाने'' पर सहमत हुए तथा छह जून को कमांडर-स्तर की बैठक में संयुक्त सहमति का पालन करने का संकल्प लिया गया। उन्होंने कहा कि चीन गलवान झड़प जैसी स्थिति नहीं देखना चाहेगा। इसके साथ ही उन्होंने चीनी विदेश मंत्रालय के आरोपों को दोहराया कि इसके लिए भारत जिम्मेदार था।

राजदूत ने कहा कि दोनों पक्षों ने गलवान घाटी में दशकों तक शांति बनाए रखी और 2020 की शुरुआत के बाद से भारतीय पक्ष ने गलवान घाटी में एलएसी पर या उसके पार बुनियादी ढांचों का निर्माण किया है और यथास्थिति को लगातार बदल रहा है। उन्होंने दावा किया कि छह मई की रात भारतीय सेना एलएसी पार कर चीनी क्षेत्र में घुस गई। भारत लगातार कहता रहा है कि गलवान घाटी उसका है और उसने इस पर चीन की संप्रभुता के दावे को दृढ़ता से खारिज कर दिया है। सुन ने कहा कि चीनी पक्ष ने घटना के बाद सैन्य और राजनयिक माध्यमों से भारतीय पक्ष को कई मौकों पर जानकारी दी और भारत इस क्षेत्र से अपने कर्मियों को वापस लेने पर सहमत हुआ।

 

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