भारत-चीन संबंधों में सुधार: सीमा तनाव के बाद भारत ने चीनी व्यावसायिक वीजा प्रक्रिया की तेज

Edited By Updated: 12 Dec, 2025 05:48 PM

india speeds up chinese business visa processing after border tensions

भारत-चीन संबंधों में सुधार के बीच भारत ने चीनी नागरिकों के व्यावसायिक वीज़ा प्रक्रिया को तेज कर दिया है। अब प्रशासनिक जांच कम कर वीज़ा चार सप्ताह के भीतर जारी किए जाएंगे। सीमा तनाव और गलवान घाटी की झड़पों के बाद यह कदम संबंधों को सामान्य बनाने और...

नेशनल डेस्कः भारत ने चीन के साथ संबंध सुधारने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए चीनी नागरिकों के व्यावसायिक वीज़ा जारी करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासनिक जांच प्रक्रिया को कम करते हुए भारत का लक्ष्य है कि चीनी व्यावसायिक वीज़ा एक महीने के भीतर जारी किए जाएं।

नाम न छापने की शर्त पर बात करने वाले दो भारतीय अधिकारियों में से एक ने बताया, “हमने प्रशासनिक जांच हटाकर चार सप्ताह के भीतर व्यावसायिक वीज़ा प्रक्रिया शुरू कर दी है।” चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत की इस पहल को सकारात्मक बताते हुए कहा कि उसने “लोगों के बीच आदान-प्रदान को सुगम बनाने हेतु भारत की ओर से सकारात्मक कार्रवाई” देखी है। मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा, “चीन भारत के साथ संचार बनाए रखते हुए आदान-प्रदान के स्तर को लगातार बढ़ाने के लिए तैयार है।”

सीमा तनाव

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव 2020 में चरम पर पहुंच गया था। यह विवाद तब शुरू हुआ जब चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी और पैंगोंग झील के पास भारतीय निर्माण कार्य का विरोध करते हुए घुसपैठ की। इसके बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। गलवान घाटी की भिड़ंत में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन ने कम से कम चार सैनिकों के हताहत होने की पुष्टि की थी। यह 1975 के बाद सीमा पर पहली मौतें थीं। पिछले पाँच वर्षों में लगातार राजनयिक और सैन्य वार्ताओं के चलते संबंधों में धीरे-धीरे सुधार शुरू हुआ। 2024 में गश्त व्यवस्था पर महत्वपूर्ण समझौते हुए, और कोर कमांडर स्तर की 22वीं बैठक के बाद दिसंबर 2024 तक डेपसांग और डेमचोक से अंतिम चरण का डिसइंगेजमेंट संभव हुआ।

अमेरिकी टैरिफ

रिपोर्टों के मुताबिक, अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव ने भी भारत-चीन समीकरण को प्रभावित किया है। राष्ट्रपति ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में अगस्त 2024 तक भारत से अमेरिकी आयात पर टैरिफ रिकॉर्ड 50% तक बढ़ गए, जिससे भारत ने आर्थिक संतुलन हेतु चीन के साथ संपर्क बढ़ाने की रणनीति अपनाई।

व्यापार में मजबूती

भारत और चीन के बीच व्यापार मजबूत बना हुआ है, हालांकि इसमें भारी असंतुलन है। वित्त वर्ष 2025 में द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 127.7 अरब डॉलर हो गया, जो 2024 के 118.4 अरब डॉलर से अधिक है। चीन, अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।

वित्त वर्ष 2026 की शुरुआती अवधि (अप्रैल–जुलाई 2025) में भारत-चीन व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। इस दौरान भारत का निर्यात 19.97% बढ़कर 5.75 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 13% बढ़कर 40.65 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह संकेत देता है कि सीमा व्यापार में सुधार, आसान वीज़ा व्यवस्था और निवेश नियमों में ढील के कारण द्विपक्षीय व्यापार में तेजी आई है।

 

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