Edited By Radhika,Updated: 17 Nov, 2025 05:07 PM

कांग्रेस ने एक खबर का हवाला देते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को खत्म करने का सुनियोजित प्रयास कर रही है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने जिस खबर उल्लेख किया, उसमें दावा किया गया...
नेशनल डेस्क: कांग्रेस ने एक खबर का हवाला देते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को खत्म करने का सुनियोजित प्रयास कर रही है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने जिस खबर उल्लेख किया, उसमें दावा किया गया है कि अक्टूबर-नवंबर में मनरेगा लाभार्थियों के डेटाबेस से 27 लाख नाम हटा दिए गए।
रमेश ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘एक और दिन, भारत के ग्रामीण गरीबों को रोज़गार के उनके विधायी अधिकार से वंचित करने का एक और प्रयास। पिछले एक महीने में 10 अक्टूबर से 14 नवंबर के बीच मोदी सरकार ने मनरेगा लाभार्थियों के डेटाबेस से 27 लाख नाम हटा दिए हैं। इनमें से छह लाख लाभार्थी सक्रिय श्रमिक थे।'' उन्होंने दावा किया कि लाभार्थियों के नामों का यह सामूहिक विलोपन श्रमिकों के लिए 'ई-केवाईसी' प्रक्रिया की शुरुआत के साथ मेल खाता है। कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘जैसा कि हमने यह विषय बार-बार उठाया है कि यह कोई अलग कदम नहीं है, बल्कि पारदर्शिता की आड़ में आधार-आधारित डिजिटल प्रक्रियाओं को लागू करके मनरेगा को समाप्त करने का एक सुनियोजित प्रयास है।''
उन्होंने कहा, ‘‘इस ऐतिहासिक कानून के विरुद्ध मोदी सरकार के अपराधों में राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (एनएमएमएस) ऐप और आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) की शुरुआत शामिल है, जिसने अनुमानित दो करोड़ श्रमिकों को काम और भुगतान के अपने कानूनी अधिकार को सुरक्षित करने से रोक दिया है।'' रमेश ने कहा, ‘‘कांग्रेस लगातार यह मांग करती रही है कि बजट में उल्लेखनीय वृद्धि और समय पर वेतन भुगतान की नीति का सख्त कार्यान्वयन हो, वास्तविक आय वृद्धि को गति देने के लिए न्यूनतम 400 रुपये प्रतिदिन मनरेगा मज़दूरी की जाए, भविष्य में मनरेगा मज़दूरी निर्धारित करने के लिए एक स्थायी समिति का गठन हो तथा एबीपीएस, एनएमएमएस और ई-केवाईसी जैसी तकनीकों को अनिवार्य रूप से अपनाने पर तत्काल रोक लगाई जाए।''