Edited By Anu Malhotra,Updated: 02 Dec, 2025 02:19 PM

सरकारी बैंकों के पुनर्गठन की चर्चाओं के बीच केंद्र सरकार ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र को लेकर एक अहम फैसला लिया है। जहां कई मीडिया रिपोर्ट्स लगातार यह इशारा कर रही हैं कि आने वाले वर्षों में सरकारी बैंकों की संख्या 12 से सिमटकर सिर्फ 4 रह सकती है, उसी बीच...
नेशनल डेस्क: सरकारी बैंकों के पुनर्गठन की चर्चाओं के बीच केंद्र सरकार ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र को लेकर एक अहम फैसला लिया है। जहां कई मीडिया रिपोर्ट्स लगातार यह इशारा कर रही हैं कि आने वाले वर्षों में सरकारी बैंकों की संख्या 12 से सिमटकर सिर्फ 4 रह सकती है, उसी बीच सरकार ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र में अपनी हिस्सेदारी कम करने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सरकार ने बैंक में मौजूद अपने हिस्से का एक हिस्सा बेचने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह बिक्री ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिये की जा रही है, जिसके तहत कुल 6% स्टेक मार्केट में उतारा जा रहा है।
OFS के जरिए बिकेगी हिस्सेदारी – निवेशकों के लिए मौका
केंद्र सरकार बैंक ऑफ महाराष्ट्र में अपनी 6% इक्विटी शेयरिंग को बाजार में बेच रही है।
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यह OFS 2 दिसंबर को खुल चुका है।
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रिटेल निवेशक इसे 3 दिसंबर को खरीद सकेंगे।
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सरकार 5% हिस्सेदारी बेचने के लिए पेशकश कर रही है, जबकि 1% अतिरिक्त हिस्सा ग्रीन शू ऑप्शन के तहत रखा गया है।
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OFS की न्यूनतम कीमत ₹54 प्रति शेयर तय की गई है, जो मौजूदा मार्केट रेट से कम रखी गई है।
बैंक में सरकार की मौजूदा स्थिति
बैंक ऑफ महाराष्ट्र में केंद्र सरकार की फिलहाल 79.6% हिस्सेदारी है। इस बिक्री के जरिए सरकार लगभग ₹2600 करोड़ जुटाने की योजना बना रही है। हालांकि रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह कदम धन जुटाने के लिए नहीं, बल्कि नियमों के अनुसार हिस्सेदारी कम करने के लिए उठाया जा रहा है।
सरकार हिस्सेदारी क्यों कम कर रही है?
भारतीय रिज़र्व बैंक ने निर्देश दिए हैं कि हर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में कम से कम 25% शेयर पब्लिक के पास होने चाहिए। इसी नियम को पूरा करने के लिए सरकार धीरे-धीरे अपनी हिस्सेदारी कम कर रही है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 6% शेयर बेचने का निर्णय भी इसी नियामकीय आवश्यकता का हिस्सा है, ताकि बैंक में सार्वजनिक निवेश बढ़ सके और सरकारी हिस्सेदारी तय सीमा के अनुकूल लाई जा सके।